दीपा ओझा की कविता : “मुझे थकने का अधिकार नहीं”
“मुझे थकने का अधिकार नहीं” मुझे थकने का अधिकार नहीं मेरे सपनों की उड़ान इस
डीपी सिंह की कुण्डलिया
वैक्सीन के जन्म पर, छिड़ी सियासी जंग। और बधाई के लिए, छक्के नाचें नंग।। छक्के
1 Comments
रिया सिंह की कविता : “ज्ञान की देवी”
“ज्ञान की देवी” जो जड़ में भी, चेतना का विस्तार कर दे अपने ज्ञान की
1 Comments
अभिषेक पाण्डेय की कविता : “हिंदी का हो रहा सोलह श्रृंगार”
“हिंदी का हो रहा सोलह श्रृंगार” ‘इंग्लिश’ लगाती पैरों में महावर ‘भोजपुरी’ ने हाथों में
1 Comments
रिया सिंह की कविता : “संघर्ष ”
संघर्ष है जीवन तो, संघर्ष भी है अपनों से मिले कुछ दर्द भी है इन
दीपा ओझा की कविता : “काश किसी दिन ऐसा होता”
“काश किसी दिन ऐसा होता” काश किसी दिन ऐसा होता सब कुछ सपने जैसा होता
डॉ. लोक सेतिया की कविता : “कैद”
“कैद” कब से जाने बंद हूं एक कैद में मैं छटपटा रहा हूँ रिहाई के
बिनोद कुमार रजक की कविता : कोरोना का कटघरे में साक्षात्कार
कोरोना आप कटघरे में आ गए क्या कहना है? कैसा महसुस कर रहे हैं? सवाल