गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता : होली आई रे
होली आई रे गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा आई होली का त्योहार रंगों में भरी है
होलाष्टक के शुभाशुभ फल, जानें सब कुछ…
विपाशेरावती तीरे शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे। विवाहादि शुभे नेष्टं-होलिकाप्राग्दिनाष्टकम्।। होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो होला
डीपी सिंह की रचनाएं
श्याम तन पर विविध रङ्ग – रोली सखी छवि है मनमोहिनी, कितनी भोली सखी सीय
होली के रंग में रंग गया कवि सम्मेलन
बरेली । मानव सेवा क्लब के तत्वावधान में क्लब के कहरवान स्थित कार्यालय परिसर में
- 1
- 2