संजय जायसवाल की कविता : हम आंखवाले
।।हम आंखवाले।। संजय जायसवाल इन दिनों आसमान में मायावी अंधेपन की चमक फैल गई है
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : वरिष्ठ नागरिक
।।वरिष्ठ नागरिक।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा लोग कहते हैं बड़े ही नसीब वाले होते हैं
राजीव कुमार झा की कविता : इंद्रधनुष
।।इंद्रधनुष।। राजीव कुमार झा रोज सुबह में रजत रूप लिए तुमने हर दिशा में दिखाया
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता – कुर्सी कथा
।।कुर्सी कथा।। ध्रुवदेव मिश्र पाषाण आप बोल रहे हैं भाषा खप रही है आप छप
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : इंतजार
।।इंतजार।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा वक्त ने जब साथ दिया था तब बहुत कुछ पाया
संजय जायसवाल की कविता : साथ
।।साथ।। संजय जायसवाल उस दिन उसने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था आदतें बदलने से
पारो शैवलिनी की कविता : मां
“माँ” पारो शैवलिनी माँ सबकुछ है। एक स्वर्णिम स्वर्ग है माँ जन्म से मृत्यु तक
संजय जायसवाल की कविता : “चिट्ठी”
“चिट्ठी” संजय जायसवाल बहुत अरसे बाद मिली मुझे वह चिट्ठी खोलते ही उसकी गंध लिपट
डीपी सिंह की रचनाएं
किरकिरी कैसे आँखों का अञ्जन हुआ सोचिए! कब कहाँ कैसे मन्थन हुआ पटकथा तो कहीं
कवि कल्प द्वारा नववर्ष को काव्यांजलि
कोलकाता : नए वर्ष के शुभ अवसर पर कोलकाता की प्रतिष्ठित संस्था ‘बंगीय हिन्दी परिषद’