डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया गाली दें हिन्दुत्व को, निसि-दिन आठो याम तिलक लगाकर अब वही, घूमें चारो धाम
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता – “फर्क”
फर्क ध्रुवदेव मिश्र पाषाण तुम काफी पढ़े लिखे हो। प्रकाशन-तंत्र में गहरी पैठ वाले हो।
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता – “जनता”
।।जनता।। ध्रुवदेव मिश्र पाषाण हर धरती का आकाश आंखों में चहक में हर आकाश का
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता : “स्वागत नव वर्ष”
।।स्वागत नव वर्ष।। सुधी सहृदयों के प्रति नए वर्ष की शुभकामनाएं “स्वागत नए वर्ष का”
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा, कविता डॉ. कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा डॉ. कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव हे! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन तुम
डीपी सिंह की रचनाएं
चुनाव विशेषांक-4 बाबाजी हुंकार भरें, यूपी में फिर से आना है बबुआ की हर हरकत
डीपी सिंह की रचनाएं
।।कुण्डलिया।। आना पाई जोड़कर, कैसे बने करोड़ आज तलक इस बात का, निकला नहीं निचोड़
डीपी सिंह की रचनाएं
असल सियासत अजी सियासी पार्टियाँ, यूँ ही हैं बदनाम असल सियासत खेलना, है एस सी
डीपी सिंह की रचनाएं
चुनाव विशेषांक-3 भड़के-भड़के फिर रहे, बड़के भाई जान मुस्लिम एका का करें, जारी नित फ़रमान
सोनम यादव की कविता “कोरोना के काल में”
कोरोना के काल में घर-घर में सब कैद हो गये कोरोना के नाम से बैठ