हिंदी साहित्य को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाली कर्मठ महिला ‘शीला संधू’
हिन्दी साहित्य और प्रकाशन को नई ऊंचाइयां तक लाने वाली वरिष्ठ साहित्यकार शीला संधू ने
डीपी सिंह की मुक्तक
कर के मीटिंग कहा गिद्ध ने चील से योजना पर रखी राय तफ़सील से शुबहे
“सबसे मिलिए कर जोरि! न जाने कब, कौन, नेता बन जाए”
आज ही खबर मिली है कि मेरा एक मित्र (अब तो ‘मित्र’ कहेंगे ही) चुनाव
डीपी सिंह की मुक्तक
हे पवनसुत आपके चरणों में मेरा चित रहे आपके गुणगान में दिन-रात आनन्दित रहे हे
तिरंगा काव्य मंच का तेरहवां मासिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन एवं मुशायरा संपन्न
नव साहित्य त्रिवेणी” के सम्पादक आदरणीय डॉ. कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड एवं वरिष्ठ शायर डॉ.
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया ऑक्सीजन हो या दवा, हस्पताल शमशान। सबका रोना रो रहा, बेमतलब इंसान।। बेमतलब इंसान,
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया दिया दिखाना छोड़ कर, दिया वृक्ष को घाव। आज प्रकृति समझा रही, प्राण-वायु का
श्रीराम वनगमन-पथ “अंतर्राष्ट्रीय काव्य यात्रा” का उद्घाटन
राम पुकार सिंह, कोलकाता : राष्ट्रीय कवि संगम 14 जनवरी 2022 मकर संक्रांति के दिन
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया (कबीर दास जी के दोहे का भावार्थ, जो अबतक किसी ने नहीं बताया) निन्दक
राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल द्वारा ‘श्रीराम वनगमन पथ अंतर्राष्ट्रीय काव्ययात्रा’ का उद्घाटन
राम पुकार सिंह, कोलकाता : रामनवमी के परम पावन अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम