“नव- सृजन : एक सोच” साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित काव्य – आवृत्ति का एक अनूठा कार्यक्रम
कोलकाता : मकर संक्रांति के अवसर पर “नव – सृजन : एक सोच” साहित्यिक समूह
प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय ने बांग्ला भाषा की व्याकारणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक परिदृश्य का किया वर्णन
कोलकाता। विद्याश्री न्यास एवं लाल बहादुर शास्त्री पी.जी. कॉलेज, पं. दी.द.उ. नगर, चन्दौली के संयुक्त
दुर्गेश बाजपेई की कविता प्रणय अशेष
प्रणय अशेष कभी बाग की हरियाली में कभी श्वेत अंबर डाली में छिपा हुआ वो
सोनम यादव की कविता
कहाँ आ गये चलते चलते और कहाँ जाना भूल गए धरती की खुशबू चिड़ियों का
डॉ. तेजस्विनी दीपक पाटील की कविता
वक्त के साथ तुम, निर्लिप्त से आगे निकल जाते हो। और मैं, अतीत की सिलवटों
व्यक्तित्व विकास के लिए नागरी लिपि अत्यंत उपयोगी- डॉ. हरिसिंह पाल
उज्जैन : नागरी लिपि में लिखने से मस्तिष्क के दोनों भागों का विकास होता है।
अपराजेय साहित्यिक व्यक्तित्व ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल’ की जयंती पर विशेष…
प्रस्तुति श्रीराम पुकार शर्मा : अपराजेय साहित्यिक व्यक्तिव आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की 137 वीं जयंती
चर्चाओं के बीच : साहित्य की मीरा पूजाश्री
काली दास पाण्डेय, मुंबई : राजस्थान की तपती रेत को रौंद कर मायानगरी मुम्बई तक
हिंदी की युवा कवयित्री वंदना जैन से साक्षात्कार…
युवा कवयित्री वंदना जैन मुंबई में रहकर काव्य साधना में निरंतर संलग्न हैं। इनका हाल
विश्व में हिंदी का प्रसार करने वाली रेखा राजवंशी के साथ साक्षात्कार
हिंदी के वैश्विक प्रचार प्रसार में प्रवासी भारतीयों की भूमिका महत्वपूर्ण है। रेखा राजवंशी काफी