डॉ. आर.बी. दास की रचना
जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो, कुछ रिश्ता अपनापन का भी होते हैं…
डॉ. आर.बी. दास की रचना
वो भी क्या समय था… जब किसी को स्टेशन छोड़ने जाओ तो… आंखे नम हो
डॉ. आर.बी. दास की कविता : रिश्ता
।।रिश्ता।। डॉ. आर.बी. दास जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो, कुछ रिश्ता अपनापन
डॉ. आर.बी. दास की कविता : तो मैं जानू
।।तो मैं जानू।। डॉ. आर.बी. दास किताब तो सब पढ़ते हैं, कोरे कागज पढ़ पाए,
महिला डॉक्टर की निर्मम हत्या के बाद बेटियों की सोच पर एक कविता
पापा! मुझे खड्ग धरा दो, इज्जत से मैं रह पाऊं। पड़े कुदृष्टि मुझ पर जिसका,
डॉ. आर.बी. दास की कविता : ये जमाना यूं ही चलता आया है
।।ये जमाना यूं ही चलता आया है।। डॉ. आर.बी. दास जब झूठ से काम निकल
डॉ. आर.बी. दास की कविता
सांप बेरोजगार हो गए, अब आदमी काटने लगे… कुत्ते क्या करे…?? जब तलबे आदमी चाटने
डॉ. आर.बी. दास की कविता : समय भूला नही बस मौन है
।।समय भूला नही बस मौन है।। डॉ. आर.बी. दास समय भूला नही बस मौन है,
डॉ. आर.बी. दास की कविता : भरोसा सोच समझ कर करना
।।भरोसा सोच समझ कर करना।। डॉ. आर.बी. दास किसी की नादानी का फायदा उठाते हैं
डॉ. आर.बी. दास की कविता
उम्र से कोई लेना देना नहीं होता, जहां विचार मिलते हैं, वहां सच्ची दोस्ती होती