अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : मैं वही हूँ
।।मैं वही हूँ।। अशोक वर्मा “हमदर्द” मैं वही हूँ जो कभी शोषित हुआ करता था
डॉ. आर.बी. दास की कविता…
लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पे क्योंकि, मैने कभी दर्द की नुमाइश नही की,
डॉ. आर.बी. दास की कविता : मन नहीं करता
।।मन नहीं करता।। डॉ. आर.बी. दास कभी नींद आती थी… आज सोने को मन नहीं
डॉ. आर.बी. दास की रचनाएं
चेहरे की हंसी दिखावट सी हो रही है, असल जिंदगी भी बनावट सी हो रही
अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : सपना या हकीकत
।।सपना या हकीकत।। अशोक वर्मा “हमदर्द” सपने में देखा मैंने एक अनजानी राह पर चल
डॉ. आर.बी. दास की रचना
जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो, कुछ रिश्ता अपनापन का भी होते हैं…
डॉ. आर.बी. दास की रचना
वो भी क्या समय था… जब किसी को स्टेशन छोड़ने जाओ तो… आंखे नम हो
डॉ. आर.बी. दास की कविता : रिश्ता
।।रिश्ता।। डॉ. आर.बी. दास जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो, कुछ रिश्ता अपनापन
डॉ. आर.बी. दास की कविता : तो मैं जानू
।।तो मैं जानू।। डॉ. आर.बी. दास किताब तो सब पढ़ते हैं, कोरे कागज पढ़ पाए,
महिला डॉक्टर की निर्मम हत्या के बाद बेटियों की सोच पर एक कविता
पापा! मुझे खड्ग धरा दो, इज्जत से मैं रह पाऊं। पड़े कुदृष्टि मुझ पर जिसका,