आपके करम भी आपके सितम ही हैं
आपने सत्ता हासिल करने को लाख बार झूठ बोला झूठे सपने दिखलाये वोट पाने को
कुछ कहना है खामोश हैं सभी
यूं तो महफ़िल सजी है कितनी रौनक नज़र आती है मगर हर कोई मिलता है
बन्द हो राज्य सरकारों की नौटंकी
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध। जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके
सोने-चांदी के कलम नहीं लिखेंगे आंसू की दास्तां ( गरीबी की पीड़ा )
जो लिखना चाहता हूं उस असहनीय दर्द की व्यथा कथा को लिखने को अश्कों का
आयुर्वेद की हक़ीक़त और धोखे-लूट का बाज़ार
मुझे ऐसे लोग गिद्ध से भी बुरे लगते हैं जो आपदा की दशा में भी
आस की टकटकी लगाये बैठे प्रवासी बिहारी मजदूर
आज पूरे देश के विभिन्न राज्यों में जितने भी प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं उनमें
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महामारी के बाद बिहार का नवनिर्माण जरूरी
आज इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर
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छाज तो बोले छलनी क्या बोले जिस में हज़ारों छेद
झूठों के सिरमौर हम हैं हमारा सोशल मीडिया अपने देश की बात कम और देशों
घर को आग लग रही है आज घर के चिरागों से
बिहार इस देश के सबसे पिछड़े राज्यों में ज्यादातर समय शीर्ष पर रहा है। इसका
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बिहारी भाइयों, इस रात की सुबह कब होगी?
मेरे सभी बिहारी भाइयों इस कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से आप सभी को शिक्षा लेने
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