डॉ. आर.बी. दास की कविता : क्या राष्ट्र धर्म
।।क्या राष्ट्र धर्म।। डॉ. आर.बी. दास चल उठ नेता तू छेड़ तान! क्या राष्ट्र धर्म!
डॉ. राम बहादुर दास की कविता : सबके हिस्से में नहीं आता
।।सबके हिस्से में नहीं आता।। डॉ. राम बहादुर दास “सबके हिस्से में” ये जमी, ये