ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता – कुर्सी कथा
।।कुर्सी कथा।। ध्रुवदेव मिश्र पाषाण आप बोल रहे हैं भाषा खप रही है आप छप
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता – अलविदा २०
अलविदा – २० ध्रुवदेव मिश्र पाषाण बे-औलाद-सा बंजर रावण-सा डरावना साल बीता रोता रहा वन-वन
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता – “जनता”
।।जनता।। ध्रुवदेव मिश्र पाषाण हर धरती का आकाश आंखों में चहक में हर आकाश का
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता : “स्वागत नव वर्ष”
।।स्वागत नव वर्ष।। सुधी सहृदयों के प्रति नए वर्ष की शुभकामनाएं “स्वागत नए वर्ष का”