आशा विनय सिंह बैस की कलम से : राम इस लोक के हृदय में बसते हैं और विश्वव्यापी हैं

आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। राम इस लोक के हृदय में बसते हैं, इसलिए