सुंदर पिचाई पर कोई फिल्म क्यों नहीं बनाता…!!
तारकेश कुमार ओझा। 80 के दशक में एक फिल्म आई थी, नाम था लव –
ऊंचे पर्वत पर खड़े हुए बौने लोग
कुछ ऐसा ही लग रहा है जैसे कोई किसी की बड़ी रेखा को छोटा कर
या दिल की सुनो दुनिया वालो या मुझको अभी चुप रहने दो
कहो भी क्या कहना है, अब बोलते क्यों नहीं। नानी मर गई है क्या? ये
स्वतंत्र भारत में “लाइन” से छुटकारा कब ??
अपने देश में कुछ बातें अटल हैं , जिसमे लाइन में खड़े होना मुख्य है
एक रुपये की इज़्ज़त का सवाल
इधर लोग अपनी इज़्ज़त की बात लाखों नहीं करोड़ों में करने लगे थे। मानहानि के