डीपी सिंह की कुण्डलिया
।।कुण्डलिया।। बिल्ली मौसी के गले, घण्टी बाँधे कौन मीटिंग होती रोज़; पर, चूहे रहते मौन
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया फिर से घर में हों वही, एक-नेक परिवार सुगठित स्वस्थ समाज से, जुड़ें सभी
।।कुण्डलिया।। बिल्ली मौसी के गले, घण्टी बाँधे कौन मीटिंग होती रोज़; पर, चूहे रहते मौन
कुण्डलिया फिर से घर में हों वही, एक-नेक परिवार सुगठित स्वस्थ समाज से, जुड़ें सभी