कुंडली में विष योग के लक्षण, कही आपकी कुंडली में भी तो नही है!

वाराणसी। शनि-चंद्र के इस विष योग के कारण व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार तो इस योग के चलते जातक की मानसिक स्थिति पागलों जैसी हो जाती है। इसके अलावा जातक को मृत्‍यु, डर, दु:ख, अपयश, रोग, गरीबी, आलस और कर्ज झेलना पड़ता है। इस योग से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति के मन में हर समय नकारात्‍मक व‍िचार आते रहते हैं साथ ही उसके काम बनते-बनते बिगड़ने लगते हैं।

विष योग के उपाय – व‍िष योग के न‍िवारण के ल‍िए ये उपय जरूर करे : अमावस्या के द‍िन पीपल के पेड़ के नीचे नारियल के गोले को काटकर उसमें काले तिल, शहद, शक्कर, घी, बेसन, भरकर कटे भाग को बंद कर के सिर से उतार कर पीपल के नीचे दबा दे ये उपाय 5बार करना है। ऐसा करने से इस विष-योग के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है।

इसके अलावा शन‍िवार के दिन दीपक में सरसों तेल में काली उड़द और काला तिल डालकर जलाना चाहिए। साथ ही प्रत्‍येक शनिवार के दिन पवनसुत हनुमानजी की पूजा करनी चाह‍िए। इसके अलावा प्रत्‍येक शनिवार को कुएं में दूध अर्पण करें। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही यह विष-योग भी खत्म हो जाता है।
शनि चंद्र के मंत्र का जाप करे या कराए जरूर लाभ होगा।
पुखराज रत्न की अंगूठी धारण करे।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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