स्वर कोकिला लता मंगेशकर का अवसान

डॉ. अखिल बंसल, जयपुर । भारत की लोकप्रिय गायिका स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर का 6 फरवरी को निधन हो गया, वे 92 वर्ष की थीं। उनके निधन का समाचार फैलते ही देश स्तब्ध रह गया। इनका जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश की इंदौर नगरी में हुआ था। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर तथा माता शेवंती मंगेशकर थीं। ये चार बहन व एक भाई हैं। इनकी अन्य बहनों में मीना, आशा तथा उषा हैं तथा हृदयनाथ मंगेशकर भाई हैं। इनके पिता क्लासिकल सिंगर थे जो थिएटर में कार्य किया करते थे। गायकी का गुण इनको अपने पिता दीनानाथ जी से विरासत में मिला था। सन 1942 में जब ये मात्र 13 वर्ष की थीं तब इन्होंने एक मराठी फिल्म में गाना रिकॉर्ड कराया पर बदकिस्मती से रिलीज के वक्त वह गाना हटा दिया गया। इस घटना से ये बहुत आहत हुई। इसी वर्ष इनके पिता का साया भी इनके सर से उठ गया। परिवार में बड़ी होने के कारण घर की समस्त जिम्मेदारी आपके कंधों पर आ गई।

सन 1945 में लता जी इंदौर छोड़कर मुंबई आ गई। यहां आकर इन्होंने अमानत अली खान से शिक्षा ग्रहण की। 1949 में इन्होंने बरसात, दुलारी, अंदाज व महल इन चार फिल्मों में गाने गाकर अपना परचम लहराया। महल फिल्म में “आएगा आने वाला” गाना सुपरहिट हुआ जिसने इनकी किस्मत ही बदल दी। सन 1969 में भारत सरकार द्वारा इनको पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। फिर तो सम्मान का ऐसा सिलसिला चल पड़ा कि थमने का नाम ही नहीं लिया। 1989 में हिंदी सिनेमा का सर्वोच्च अवार्ड दादासाहेब फालके, 1999 में पद्म विभूषण तथा 2001 में भारत सरकार ने इनको भारत रत्न से सम्मानित किया। सन 2008 में स्वतंत्रता की 60 वीं वर्षगांठ पर इनको वन टाइम अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए भारत सरकार ने सम्मानित किया। सन् 1972 में बेस्ट प्लेबैक सिंगर परिचय फिल्म के लिए,1974 का बेस्ट प्लेबैक सिंगर कोरा कागज के लिए तथा 1990 का बेस्ट प्लेबैक सिंगर अवार्ड लेकिन फिल्म के लिए दिया गया। लता जी को 6 बार फिल्म फेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।

संगीत की दुनियां की बेताज बादशाह थीं। मुगलेआजम, दिल अपना प्रीत पराई, गाइड तथा ज्वेलथीफ फिल्मों में इनके गाये गानों ने देश भर में धूम मचा दी। सन् 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समक्ष जब इन्होंने कवि प्रदीप का लिखा गाना ऐ मेरे वतन के लोगो गाया तो जिसने सुना उसकी आंखों में आंसू छलक आए। अपनी प्रतिभा और लगन के बल पर संगीत की दुनियां में नाम अमर कर लिया। इनको सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का गौरव प्राप्त है। तीस से अधिक भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गीत इनके द्वारा गाये गये हैं। पाकीजा, प्रेम पुजारी, शर्मीली, अभिमान, परिचय, कोरा कागज, सत्यम शिवम सुंदरम, रुदाली, सिलसिला, चांदनी, राम लखन, मैंने प्यार किया, एक दूजे के लिए, हीरो, लेकिन, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, हम आपके हैं कौन, मोहब्बतें, वीरजारा, लम्हे, डर, लगान, बेवफा आदि अनेकों फिल्मों में इनके गाए मधुर गाने सदा लोगों को याद रहेंगे। विगत 20 वर्षों से स्वास्थ्य के कारण इन्होंने गिने चुने गाने ही गाए। जैन धर्म के महामंत्र णमोकार तथा भक्तामर स्तोत्र को भी इन्होंने अपने स्वरों से संजोया था। ऐसी अमर गायिका के चरणों में कोटिशः नमन।

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