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नई दिल्ली : तकनीकी क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली लगभग 62 फीसदी महिलाओं ने पिछले दो वर्षों में अपने संगठन में लैंगिक समानता के स्तर में सुधार देखा है। इस आशय की जानकारी एक सर्वे रिपोर्ट में मिली है। कैसपर्सकी की एक रिपोर्ट के अनुसार, लैंगिक समानता का विचार केवल शारीरिक ही नहीं, अपितु भावनाओं, रूढ़ियों और अवसर की धारणा से भी है।
कैसपर्सकी की ग्लोबल रिसर्च एंड एनालिसिस टीम में सीनियर सिक्योरिटी रिसर्चर नौशीन शबाब ने कहा कि महिलाओं को कार्यस्थल में प्रवेश करने से बहुत पहले ही लैंगिक रूढ़ियों के मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। इसे स्कूल में शुरू करने और इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
पहले चीजों के ‘डराने’ के पक्ष को संबोधित करते हुए 50 प्रतिशत महिलाएं इस बात से सहमत हैं कि उनके उद्योग में अन्य महिलाओं की कमी ने उन्हें वैश्विक औसत से 12 प्रतिशत ऊपर आईटी / तकनीक में करियर शुरू करने से वंचित कर दिया।
सर्वे में 43 प्रतिशत महिलाओं ने कहा है कि आईटी / तकनीक में अपनी पहली नौकरी के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया से गुजरने के दौरान लैंगिक असमानता का डर महसूस किया और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़कर 64 प्रतिशत हो गई।
लिंग प्रतिनिधित्व की धारणाओं में एक वैश्विक सुधार के बावजूद एपीएसी क्षेत्र (58 प्रतिशत) में आधे से अधिक महिलाएं इस बात से सहमत हैं कि लिंग समानता को सुदूर कामकाज के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। यह दफ्तर की संस्कृति की चिंता को इंगित करता है जो नए लोगों के लिए अभी भी बरकरार है।
बहरहाल, इस सबसे से इतर कोविड-19 का खौफ भी अभी महिलाओं में बना हुआ है। 46 प्रतिशत महिलाओं (40 प्रतिशत वैश्विक रूप से) का कहना है कि उन्हें घरेलू दबाव के कारण मार्च 2020 से करियर में बदलाव करने से पीछे रखा गया है, और केवल 40 प्रतिशत पुरुषों ने भी ऐसी ही भावना व्यक्त की है।