नई दिल्ली। National Desk : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ उनके यूट्यूब चैनल पर सरकार द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन से निपटने की आलोचना करने वाली टिप्पणियों के संबंध में दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया है। जस्टिस यू.यू. ललित और विनीत सरन ने कहा कि अदालत ने कार्यवाही और प्राथमिकी को खारिज कर दिया है, क्योंकि इस बात पर जोर दिया गया है कि केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य (1962) मामले में निर्णय के अनुसार प्रत्येक पत्रकार को संरक्षित किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने आईपीसी (देशद्रोह) की धारा 124ए की वैधता को बरकरार रखते हुए केदारनाथ सिंह के मामले (1962) में कुछ सुरक्षा उपायों को निर्धारित करके कानून के दायरे को सीमित कर दिया था। अदालत ने तब कहा था, ”एक नागरिक को सरकार या उसकी नीतियों के बारे में जो कुछ भी पसंद है, उसे कहने का अधिकार है, लेकिन हिंसा को उकसाना नहीं चाहिए।”
बेंच ने दुआ की इस अपील को भी खारिज कर दिया कि दस साल से पत्रकारिता से जुड़े पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के आरोपों की पूर्व जांच के लिए प्रत्येक राज्य में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। पीठ ने कहा, “यह सीधे तौर पर विधायी क्षेत्र का अतिक्रमण करेगा।”
शीर्ष अदालत ने छह मई को दुआ की गिरफ्तारी को लेकर 14 जून, 2020 को दुआ की दायर याचिका पर प्राथमिकी को रद्द कर उन्हें गिरफ्तार होने से बचा लिया। भाजपा नेता अजय श्याम ने दुआ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि वह कथित रूप से फर्जी खबरें फैलाकर सरकार के खिलाफ हिंसा भड़काने का काम कर रहे हैं।