58वां अखिल भारतीय पुलिस डीजी/आईजी सम्मेलन 5-7 जनवरी 2024 का सफल आयोजन

पुलिस को अब दंड के बजाय डाटा के साथ काम करने की जरूरत, समय की मांग
पुलिस डीजी/आईजी सम्मेलन में तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने, सजा के बजाय न्याय देने पर विचार विमर्श के दूरगामी सफल परिणाम मिलेंगे- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर हर देश में वहां की आंतरिक कानून व्यवस्था, सुरक्षा, हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी वहां की पुलिस द्वारा प्रदान करने में जी तोड़ मेहनत की जाती है, जो उनका कर्तव्य भी है और नागरिकों का मौलिक अधिकार भी है। परंतु अक्सर हम देखते हैं कि आम नागरिक जिन तीन कोट से अक्सर दूर से ही नमस्कार करना चाहता है, उसमें से एक खाकी कोट भी शामिल है। आज करीब-करीब हर देश में एक आम नागरिक पुलिस से दूर रहना चाहता है, किसी झमेले में नहीं पढ़ना चाहता। यही कारण है कि अनेक घटनाओं में गवाह नहीं मिलते या एनवक्त पर जब कोर्ट में केस टेबल पर आता है तो वे होस्टाइल हो जाते हैं और यही कारण है कि अपराध और सजा का अनुपात बहुत गिरा हुआ है। याने अधिकतम अपराधी छूट जाते हैं। दूसरा मेरा मानना है कि आम नागरिकों के बीच पुलिस की हरे गुलाबी की छवि, यानी पुलिस के झमेले में आए और इतने हरे गुलाबी का फटका लगा! यह मानसिकता की सोच आज बदलने की जरूरत है। चूंकि राजस्थान के जयपुर में 5-7 जनवरी 2024 को 58 वां अखिल भारतीय पुलिस डीजी/आईजी सम्मेलन का सफलता पूर्वक समाप्ति हुआ। जिसको माननीय पीएम ने आज 7 जनवरी 2024 को संबोधित किया। जिसमें अनेक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिए जिसकी चर्चा हम नीचे करेंगे, वहीं केंद्रीय गृहमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी मार्गदर्शन किया अनेक मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ जिसमें आतंकवाद, तीन नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन व प्रशिक्षण, साइबर अपराध, महिला सुरक्षा 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए भारतीय पुलिस की आधुनिक और विश्वास स्तरीय बल में बदलना सहित अनेक प्रकार का मार्गदर्शन, व्यापार विचार विमर्श किया गया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे पुलिस को दंड के बजाय डाटा के साथ काम करने की जरूर है और तीन नए आपराधिक कानून को, सजा के बजाए न्याय देने की मंशा के दूरगामी सकारात्मक परिणाम मिलेगा।

साथियों बात अगर हम 5 जनवरी 2024 को शुरू हुए इस सम्मेलन की करें तो, तीन दिवसीय सम्मेलन में जिन प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई, उनमें तीन नये आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन, खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियां और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमला समेत कई मुद्दे शामिल हैं। एक अधिकारी ने मीडिया में कहा कि आमचुनाव से जुड़े मुद्दे, साइबर अपराध, माओवादी समस्या और अंतरराज्यीय पुलिस समन्वय समेत कई अन्य प्रमुख विषय हैं, जिन पर बैठक के दौरान चर्चा हुई है। डीजी-आईजी रैंक के 250 करीब अधिकारी शामिल हुए। जबकि करीब अन्य 200 से अधिक ने इसमें भाग लिए है। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने मीडिया में कहा कि कई अधिकारियों को आतंकवाद का निरोध, ऑनलाइन धोखाधड़ी, जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद, खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियां और वामपंथी उग्रवाद जैसे विशिष्ट विषयों पर प्रस्तुतियां देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थीं। इन सभी उभरती आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए, इस पर विस्तृत विचार विमर्श किया। इसके अलावा, सम्मेलन में पुलिसिंग और सुरक्षा से जुड़े भविष्य के विषयों जैसे कृत्रिम मेधा (एआई), डीपफेक आदि जैसी नई प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया। पीएमओ ने कहा कि सम्मेलन मूर्त कार्य बिंदुओं की पहचान करने और उनकी प्रगति की निगरानी करने का अवसर भी प्रदान करता है, जिसे हर साल पीएम के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाता है।यहसम्मेलन चिह्नित विषयों पर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुलिस और खुफिया अधिकारियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श का समापन है। सम्मेलन में प्रत्येक वर्ष की तरह राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं को प्रस्तुत किया गया ताकि राज्य एक-दूसरे से सीख सकें।

साथियों बातें अगर हम 5-7 जनवरी 2024को 58 वें सम्मेलन से पहले हुए सम्मेलनों की करें तो, इससे पहले पीएम ने 2014 से देश के हर क्षेत्र में डीजीपी सम्मेलनों के आयोजन को भी प्रोत्साहित किया है, साल 2014 में इसका आयोजन गुवाहाटी में, 2015 में कच्छ के रण, 2016 में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी,हैदराबाद 2017 में टेकनपुर (मध्य प्रदेश), 2018 में केवडिया (गुजरात), 2019 में पुणे, 2021 में लखनऊ में और 2023 में दिल्ली में आयोजित हुआ था।इस परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष जयपुर में सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

साथियों बात अगर हम 5 जनवरी 2024 को केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा 58 वें सम्मेलन के उद्घाटन की करें तो उन्होंने उद्घाटन सत्र में केंद्र सरकार के दो महत्वपूर्ण निर्णयों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और औपनिवेशिक कानूनों को बदले जाने की प्रशंसा की। तीन नए आपराधिक कानूनों पर कहा कि नए कानून सजा के बजाय न्याय देने पर केंद्रित हैं और इन कानूनों से आपराधिक न्याय प्रणाली आधुनिक और वैज्ञानिक हो जाएगी। उन्होंने 2014 के बाद से देश में सुरक्षा परिदृश्य में समग्र सुधार की ओर इशारा किया। कहा, जम्मू- कश्मीर, पूर्वोत्तर व वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा में कमी आई है। सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए डाटाबेस को जोड़ने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) संचालित विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने देश में आतंकवाद विरोधी तंत्र के ढांचे और कौशल में एकरूपता को जरूरी बताया और नए कानूनों के सफल कार्यान्वयन के लिए अधिकारियों के प्रशिक्षण की बात कही। पुलिस मुख्यालय और थाने आधुनिक तकनीक से लैस हों, तीन नए कानूनों के सफल कार्यान्वयन के लिए स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) या पुलिस स्टेशन के प्रभारीअधिकारी से लेकर डीजीपी स्तर तक के पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और थानों से लेकर पुलिस मुख्यालय तक को तकनीक से लैस करने की आवश्यकता पर बल दिया। देश की सेवा में प्राण न्योछावर करने वाले सुरक्षा बलों के जवानों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आईबी अफसरों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक दिए और तीन सर्वश्रेष्ठ पुलिस थानों के लिए ट्रॉफी प्रदान की। दुनिया भर में आंतक सबसे बड़ा मुद्दा है।भारत आतंकी गतिविधियां के लिहाज से काफी ज्यादा गंभीर है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का सबसे अधिक खतरा है। आतंकी खतरे के साथ-साथ खालिस्तानी गुट की बढ़ती गतिविधियां भी चिंता का विषय है।

साथियों बात अगर हम 7 जनवरी 2024 को देर शाम माननीय पीएम द्वारा सम्मेलन को संबोधन करने की करें तो, रविवार को जयपुर में इन बड़े अधिकारियों से कहा कि पुलिस को अब डंडा के साथ काम करने के बजाय डेटा के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए, भारतीय पुलिस को खुद को एक आधुनिक और विश्व स्तरीय पुलिस बल में बदलने पर जोर देना होगा। नए प्रमुख आपराधिक कानूनों का अधिनियमन आपराधिक न्याय प्रणाली में एक आदर्श बदलाव है। नए आपराधिक कानून ‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले’ की भावना से बनाए गए हैं। पीएम ने इसके साथ-साथ पुलिस से महिला सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को कहा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाएं निडर होकर कभी भी और कहीं भी काम कर सकें। उन्होंने पुलिस को सोशल मीडिया मंच का बढ़ चढ़कर उपयोग करने की अपील की, जनता के हित में पुलिस स्टेशनों को सकारात्मक जानकारी और संदेश प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए। तीन दिनों तक चले डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस का आज आखिरी दिन था। कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम ने अधिकारियों से नागरिकों के बीच में पुलिस की सकारात्मक छवि को सुदृढ़ करने पर भी जोर दिया। इसके लिए उन्होंने आम जनता और पुलिस के बीच संबंध को मजबूत करने के लिए विभिन्न खेल कार्यक्रमों के आयोजन का भी सुझाव दिया। इसके साथ साथ सरकारी अधिकारियों से स्थानीय आबादी के साथ बेहतर जुड़ाव स्थापित करने के लिए सीमावर्ती गांवों में रहने का भी आग्रह किया। पीएम ने भारतीय नौसेना की सराहना की भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की सफलता और भारतीय नौसेना द्वारा अरब सागर में हाईजैक किए गए जहाज से 21 चालक दल के सदस्यों को बचाने के लिए भारतीय नौसेना की तारीफ और कहा कि ऐसी उपलब्धियां दिखाती हैं कि भारत दुनियां में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 58वां अखिल भारतीय पोलिस डीजी/आईजी सम्मेलन 5-7 जनवरी 2024 का सफल आगाज।पोलिस को अब दंड के बजाय डाटा के साथ काम करने की जरूरत समय की मांग। पोलिस डीजी/आईजी सम्मेलन में तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने, सजा के बजाय न्याय देने पर विचार विमर्श के दूरगामी सफल परिणाम मिलेंगे।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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