आजादी की लड़ाई की प्रमुख वीरांगना हैं सुभद्रा कुमारी चौहान : डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी

कोलकाता। राष्ट्र के प्रति गौरव बोध को जगाने वाली वीरांगनाओं में सुभद्रा कुमारी चौहान अग्रिम पंक्ति की अधिकारिणी हैं। इस संदर्भ में महादेवी वर्मा भी हमारी स्मृतियों में सुरक्षित हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में तारा देवी हरख चंद कांकरिया जैन कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित “जाओ सुभद्रा याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी” कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ.प्रेम शंकर त्रिपाठी ने ये उद्गार व्यक्त किए। राष्ट्रीय चेतना की सजग कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘झांसी की रानी’ के वाचन और विद्यार्थियों द्वारा उनकी कहानी ‘ गुलाब सिंह’ के मंच- प्रस्तुतीकरण से अभिभूत डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि सुभद्रा कुमारी चौहान के प्रति प्रदर्शित कृतज्ञता बोध हमारी नई पीढ़ी को कृतज्ञता का पाठ पढ़ायेगा।

डॉ.तारा दूगड़ ने डॉ.प्रेमशंकर त्रिपाठी का सारगर्भित परिचय प्रस्तुत किया। कॉलेज की प्राचार्या डॉ.मौसमी सिंह सेनगुप्ता ने सभी का स्वागत करते हुए स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अमृत महोत्सव की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। डॉ. किरण सिपानी ने सुभद्राकुमारी चौहान के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को उद्धृत करते हुए उनके क्रांतिकारी राष्ट्रीय चरित्र के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की। उन्होंने यह भी बताया कि सुभद्रा जी की राष्ट्रप्रेम की भावना को सम्मानित करते हुए भारत सरकार द्वारा 1976 में इनके नाम का एक डाक टिकट जारी किया गया और नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज को “सुभद्रा कुमारी चौहान” का नाम दिया गया है।

श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जैन सभा के 94 वर्षीय अध्यक्ष श्री सरदारमल जी कांकरिया ने नई पीढ़ी का आह्वान करते हुए अपने उत्साहपूर्ण संबोधन में कहा कि इतिहास की घटनाओं से प्रेरणा लेकर वर्तमान परिस्थितियों में भी राष्ट्र गौरव को सुरक्षित रखें। कॉलेज के अंग्रेजी और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की छात्राओं ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘ये देश मेरे’ जैसे देशभक्ति के गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। प्रो. स्वाति शर्मा ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।डॉ. बृजेश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में फिल्म स्टडीज एवं जर्नलिज्म तथा अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक -प्राध्यापिकाओं की भूमिका सराहनीय रही। कॉलेज के सेक्रेटरी श्री ललित कांकरिया ने मंच पर उपस्थित रहकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। कार्यक्रम में प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं, विद्यार्थियों और अशिक्षक कर्मचारियों का उत्साह देखते ही बनता था। अंत में राष्ट्रगान की अद्भुत समवेत प्रस्तुति की गई।

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