प्रकृति के साथ आत्मघाती युद्ध करना बंद करें : संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आह्वान किया कि प्रकृति के साथ एक संवेदनहीन और आत्मघाती युद्ध बंद करने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्रवाई करें। उन्होंने यह बात जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता को हो रहे नुकसान और प्रदूषण को लेकर कही। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की एन्वायर्नमेंट प्रोग्राम रिपोर्ट ‘मेकिंग पीस विथ नेचर’ के लॉन्च के मौके पर गुटेरेस ने कहा, “मैं स्पष्टता से कहना चाहता हूं कि प्रकृति की सहायता के बिना हम ना तो विकसित हो सकते हैं न जिंदा रह सकते हैं। हम प्रकृति के साथ संवेदनहीन और आत्मघाती लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी कारण पर्यावरण संबंधी संकट आ रहे हैं, फिर चाहे वह जलवायु में परिवर्तन हो, जैव विविधिता की घटना या प्रदूषण का बढ़ना हो। ग्रह की सेहत की रक्षा में ही मानव कल्याण है। हमें प्रकृति के साथ अपने संबंधों का मूल्यांकन करना और बेहतर जरूरी है।”

इंसान जमीन और समुद्र के पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। समुद्र कचराघर बन गए हैं। सरकार भी इनको बचाने की बजाय इनका दोहन करने के लिए ज्यादा पैसा खर्च कर रही हैं। विश्व स्तर पर सभी देश पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों पर सब्सिडी देने में हर साल 4 ट्रिलियन डॉलर से 6 ट्रिलियन डॉलर खर्च करते हैं। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पिछले 5 दशकों में लगभग 5 गुना बढ़ गई है, लेकिन यह सब वैश्विक पर्यावरण को हुए भारी नुकसान की कीमत पर हुआ है।

उन्होंने आगे कहा, “कुल मिलाकर हमें प्रकृति को देखने के नजरिए में बदलाव करने की जरूरत है। हमें अपनी सभी नीतियों, योजनाओं और आर्थिक प्रणालियों में प्रकृति को तवज्जो देने की जरूरत है। यह वह समय है जब हमें प्रकृति को एक सहयोगी के रूप में देखना सीखने की जरूरत है जो हमें सतत विकास के अपने लक्ष्यों को पाने में मदद करेगा।”

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