सिलीगुड़ी। शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय (15 सितंबर, 1876 – जनवरी 16, 1938) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघुकथाकार थे। वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार हैं। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। इसके अलावा उनकी रचनाओं में तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक मिलती है। शरतचंद्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक अनूवादित लेखक हैं।
आज उनके पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए शिव मंदिर के शरद नगर में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई। यह प्रतिमा स्थानीय पंचायत सदस्य पिंकी चक्रवर्ती के सौजन्य से स्थापित की गई। कार्यक्रम का नेतृत्व में स्थानीय समाजसेवी दुर्लभ चक्रवर्ती ने किया है। जिस जगह पर यह प्रतिमा स्थापित की गयी वह जगह स्थानीय समाजसेवी शंकर साहा के द्वारा प्रदान की गई है। उनकी पुण्यतिथि पर खासतौर पर विशेष प्रतिमा स्थापित कर स्थानीय वासियों को एक लैंडमार्क भी दिया जा रहा है।
आज से उस मोड़ का नाम शरत चंद्र मोड़ के नाम से भी जाना जायेगा। स्थानीय निवासी अहिभूषण सरकार ने उस नगर के नाम रखने की उपलब्धि और को सभी के सामने दर्शाया। इस पुण्यतिथि पर आठारोखाई ग्राम पंचायत के सदस्य पिंकी चक्रवर्ती, समाज सेवी दुर्लभ चक्रबर्ती, समाज सेवी शंकर साहा एवं स्थानीय मुहल्ले के लोगों ने फूल माला अर्पर्ण कर शरतचंद्र चट्टोपाध्याय को याद किया।