पटना : सियासत की चाल बहुत टेढ़ी-मेढ़ी होती है। दरअसल राजनीति एक ऐसी पहेली है जो कभी सपाट राहों पर भी सरपट दौड़ती है तो कभी पथरीले राहों पर भी रास्ता तैयार कर ही लेती है। मतलब साफ है कि आज की भागदौड़ वाली राजनीति में पाला बदलने में माहिर नेता आगे बढ़ जाते है लेकिन पीछे छूट जाती है तो सिर्फ उनका विचारधारा, जिसे दीवार पर टांगने में वक्त अब नहीं लगता। ऐसा ही आजकल बिहार की सियासी गलियारों में देखने को मिल रहा है। कम्युनिस्ट नेता कन्हैया कुमार के जदयू में शामिल होने की अटकलें को उस समय बल मिला जब वे नीतीश के करीबी कद्दावर नेता अशोक चौधरी से मुलाकात की है।
बिहार में पक रही राजनीतिक खिचड़ी : हालांकि मौजूदा बिहार के सियासी करवटों पर नजर दौड़ाए तो जब से विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार की पार्टी कमजोर हुई है तबसे जदयू लगातार मंथन कर रही है। इसी कड़ी में कभी रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा तो कभी लोजपा सांसद चंदन सिंह सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात करते है तो अब कन्हैया कुमार अशोक चौधरी से मिलते है। इन सभी राजनीतिक मुलाकात का निहितार्थ साफ है कि नीतीश कुमार फिर से पार्टी को हर हाल में मजबूत देखना चाहते है। इसके लिये वे दूसरे दलों के कद्दावर नेता हो या कमजोर पार्टी के प्रमुख हो उन्हें जदयू में आने का न्यौता भी दे रहे है। ताकि आने वाले दिनों में बीजेपी के सामने मजबूती से खड़ी रह पाए तो वहीं राजद से उन्नीस न साबित हो।
कन्हैया कुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित : बता दें कि कन्हैया कुमार की इस मुलाकात की टाइमिंग को लेकर राजनीतिक गलियारें में चर्चा हो रही है। बीते हफ्ते ही कन्हैया कुमार की सीपीआई में उस समय मुश्किलें बढ़ गई जब उनके खिलाफ पार्टी सचिव के साथ मारपीट को लेकर निंदा प्रस्ताव पास किया गया। यह प्रस्ताव लाने की नौबत इसलिये लानी पड़ी कारण कन्हैया कुमार पर पार्टी सचिव इंदुभूषण के साथ मारपीट का गंभीर आरोप लगा। आलम तो यह है कि बिहार के यह युवा नेता के खिलाफ पार्टी के ही 110 सदस्य में से 3 को छोड़कर सभी ने निंदा प्रस्ताव का एकसुर से समर्थन किया। जिससे आहत कन्हैया कुमार अब नई सियासी पारी की शुरुआत करना चाहते है।
जदयू में शामिल हो सकते कन्हैया कुमार : वहीं जदयू ने इशारों ही इशारों में ही कन्हैया कुमार को संदेश दे दिया है कि उनको पार्टी में आने की तभी हरी झंडी मिलेगी जब वे पुराने विचारधारा को छोड़कर आएंगे। खैर राजनीति है तो अटकलें भी है। कन्हैया कुमार के कदम-कदम पर न सिर्फ बिहार बल्कि देश भर के लोगों की नजर रहेगी। अगर वे जदयू में वाकई में शामिल होते है तो निश्चित रुप से लाल झंडा को तगड़ा झटका लगेगा। वहीं कन्हेया कुमार के सामने भी कई प्रश्न खड़े होंगे-जिसका जवाब देना अब उन्हें आसान नहीं होगा। मसलन कल तक नरेंद्र मोदी और बीजेपी को कोसने वाले कन्हेया कुमार उसी जदयू में शामिल होंगे जो दशकों से बीजेपी के सबसे पुराने साथी रहे है।