राजीव कुमार झा, लखीसराय : बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया में स्थित जगदंबा मंदिर में देवी त्रिपुर सुंदरी माता की पूजा अर्चना भक्तगण श्रद्धाभाव से करते हैं और यहाँ आने वाले समस्त श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। बड़हिया के सारे लोग माता त्रिपुर सुंदरी को अपना कुलदेवी मानते हैं और उनके हृदय में इनके प्रति असीम प्रेम और आस्था है। प्रात:वेला से पहले ब्रह्ममुहूर्त में ही यहाँ रोज काफी नर-नारी अपने हाथों में पूजा की डलिया लिए बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर की ओर जाते दिखायी देते हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त तक यहाँ श्रद्धालुओं का आगमन होता रहता है।
बड़हिया के बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर को जगदंबा स्थान भी कहा जाता है और यह काफी पुराना है। श्रीधर ओझा नामक किसी ब्राह्मण को इस मंदिर का संस्थापक कहा जाता है और देवी त्रिपुर सुंदरी का उनकी तपस्या साधना से गंगातट पर अवतरण हुआ था और यहाँ फिर बड़हियावासियों के द्वारा उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गयी थी।
बाला त्रिपुर सुंदरी माता की पूजा अर्चना के लिए यहाँ काफी तादाद में आसपास के इलाकों के अलावा दूर-दूर से भी नर-नारियों का आगमन होता रहता है, लेकिन नवरात्र में काफी भीड़ जुटती है। इसके अलावा विवाह, मुंडन और उपनयन के लिए भी काफी लोग आते हैं। इनके लिए मंदिर ट्रस्ट के द्वारा भक्त श्रीधर सेवाश्रम की स्थापना यहाँ की गयी है। इसमें दर्शनार्थियों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है।
बड़हिया में बाला त्रिपुर सुंदरी माता को वैष्णव देवी के समान पवित्र माना जाता है। इस मंदिर के संस्थापक श्रीधर ओझा के बारे में जनश्रुति है कि वह वैष्णव देवी के अनन्य भक्त थे और कई सालों तक उन्होंने वहाँ उनकी उपासना की थी और फिर एक दिन तपश्चर्या के बाद अपनी जन्मभूमि बड़हिया लौट आये एवं यहाँ गंगा के तट पर उनकी पूजा अर्चना में लीन रहा करते थे और इसी काल में ध्यानावस्था में माता वैष्णव देवी ने आलोकित मृत्तिका पिंड के रूप में गंगा की जलधाराओं में उन्हें दर्शन दिया था। यहाँ के बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में उसी मृत्तिका पिंड की पूजा होती है।