पारो शैवलिनी : हिन्दी फिल्ममेकर विजय आनंद जिन्हें हम गोल्डी के नाम से भी जानते हैं आज उनकी 88वीं जयंती पर उन्हें याद कर रहे हैं। यों तो सभी विजय आनंद को फिल्म निर्माता, निर्देशक, एडिटर, स्क्रिप्टराइटर और एक अच्छे अभिनेता के रूप में जानते हैं। लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि उनमें एक संवेदनशील गीतकार भी छिपा हुआ था। 1994 में अगर सबकुछ ठीक-ठाक चलता तो विजय आनंद के रूप में एक अच्छा गीतकार भी हिन्दी सिनेमा जगत को मिलता। उसी साल खाकसार को संगीतकार रोबिन बनर्जी के साथ विजय आनंद से मिलने का अवसर मिला था। मुंबई के जुहू में केतनव हाउस में हुई क्षणिक मुलाकात में गोल्डी साहब का दर्द छलक कर सामने आया था। संगीतकार रोबिन बनर्जी को गोल्डी साहब ने कहा था “देखा जायेगा” का सूरज उभरने से पहले ही अस्त हो गया। उन्होंने कहा, वो इस बात से बहुत ज्यादा हताश हैं कि जिंदगी में पहली बार किसी कलाकार ने उसके साथ काम करने से इन्कार कर दिया था।
बात 1993 की है। एक फिल्मी पार्टी में अभिनेता अनिल कपूर और जैकी श्राॅप से बातचीत के बाद गोल्डी साहब ने बड़े उत्साह से “देखा जायेगा” शीर्षक से एक म्युजिकल थ्रीलर फिल्म की योजना बनाई, संगीतकार रोबिन बनर्जी को लेकर। फिल्म के लिये पहली बार आठ गाने विजय आनंद ने लिखे। चार गाने की रिकॉर्डिंग भी हुई। पहला गाना कुमार शानू ने गाया। दूसरा गाना कविता कृष्णामूर्ति, अभिजीत और कोरस तीसरा गाना थीम सांग था जिसे कुमार शानू, अभिजीत, कविता, नितिन मुकेश के साथ कोरस तथा चौथा गाना साधना सरगम की आवाज़ में मुंबई के म्युजिसियन रिकाॅडिंग सेंटर में रेकॉर्ड किया गया।
मगर, इससे पहले कि फिल्म फ्लोर पर जाती, अनिल और जैकी दोनों ने काम करने से इन्कार कर दिया। दोनों की ना से हताश होकर विजय आनंद ने सिनेमा जगत को ही अलविदा कह दिया। गोल्डी साहब के एकमात्र पुत्र वैभव आनंद जिसे वो एक सफल निर्देशक के रूप में देखना चाहते थे, उन्होंने भी अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि बेरुखी ने पापा को बॉलीवुड से रिटायर्ड कर दिया।