कहीं क्रूरता की पराकाष्ठा, कहीं संवेदना की शीतल छांव !!

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : कोरोना और लॉक डाउन ने न केवल इंसानी समाज बल्कि जानवरों को भी गहरे तक प्रभावित किया है । आदमी के मामले में नफे – नुकसान का आंकड़ा तो शायद मिल भी जाए लेकिन जानवरों को इसकी कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है, कहना मुश्किल है । लेकिन देश के दूसरे हिस्सों की तरह ही खड़गपुर में भी इस दौरान कहीं क्रूरता की पराकाष्ठा नजर आई तो कहीं संवेदनशीलता की शीतल छांव।

बता दें कि कोरोना के चलते लॉक डाउन लागू होने के बाद शहर में गरीबों की फिकर् करने वाले जितने रहे उससे कम जानवरों की चिंता करने वाले नहीं । बड़ी संख्या में एनजीओ के स्वयंसेवकों और व्यक्तिगत रूप से भी लोगों को लावारिस कुत्तों को खाना खिलाते देखा गया । लेकिन शायद यह जरूरत से काफी कम रहा , इसलिए जानवरों की दुर्दशा भी गाहे – बगाहे नजर आती रही । विगत सोमवार को छोटा टेंगरा रोड पर एक लावारिस कुत्ते की लाश पड़ी देखी गई। गले और अन्य जगहों पर बंधे कपडों के मद्देनजर स्पष्ट था कि किसी ने उसे क्रूरता पूर्वक मौत के घाट उतारा था । जिले के विभिन्न भागों में पहले भी इस प्रकार के मामले सामने आते रहे हैं।

लेकिन हाल – फिलहाल की कुछ घटनाएँ उम्मीद बंधाती है कि मवेशियों के प्रति हमारी संवेदनाएं अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है । कुछ दिन पहले शहर के गोलबाजार में हूक से बांधी गई कमजोर बछिया को युवकों ने मुक्त कराया और खिलाने – पिलाने के बाद जाने दिया । हाल ही में ऐसी एक और घटना न्यू सेटलमेंट स्थित प्रिटिंग प्रेस के पास की है । जहां एक लावारिस बीमार साढ़ की मौत हो गई । बीमारी के दौरान देखभाल करने वालों ने सांढ़ के सम्मान जनक संस्कार का फैसला किया । अपील पर राहगीरों की सहायता से यह संभव भी हो गया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *