बर्लिन। जर्मनी के आम चुनाव में मध्यमार्गी वामपंथी सोशल डेमोक्रेट पार्टी ने सर्वाधिक मत हासिल किए हैं और बेहद करीबी मुकाबले में निवर्तमान चांसलर एंजेला मर्केल के दक्षिणपंथी झुकाव वाले यूनियन ब्लॉक को हरा दिया। यह चुनाव सुनिश्चत करेगा कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में लंबे समय से नेता रहीं मर्केल का उत्तराधिकारी कौन होगा।
सोशल डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार एवं निवर्तमान वाइस चांसलर एवं वित्त मंत्री ओलाफ शोल्ज ने कहा, ‘‘चुनाव के नतीजे बेहद स्पष्ट जनादेश को दर्शाते हैं जो अब यह सुनिश्चित करेगा कि हम मिलकर जर्मनी में एक बेहतर, व्यावहारिक सरकार का गठन करें।’’
संघीय चुनाव में अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बावजूद मर्केल के यूनियन ब्लॉक ने कहा है कि वह सरकार गठन के लिए छोटे दलों से संपर्क करेगा, जबकि नए चांसलर के शपथ लेने तक मर्केल कार्यवाहक चांसलर बनी रहेंगी। निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह सभी 299 सीटों की मतगणना में सोशल डेमोक्रेट ने 25.9 प्रतिशत वोट प्राप्त किए जबकि यूनियन ब्लॉक को 24.1 प्रतिशत वोट मिले।
पर्यावरणविदों की ग्रीन पार्टी 14.8 प्रतिशत वोट के साथ तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद कारोबार सुगमता की पक्षधर फ्री डेमोक्रेट्स को 11.5 प्रतिशत वोट मिले। दोनों दल पहले ही इस बात के संकेत दे चुके हैं कि वे नयी सरकार के गठन में सहयोग कर सकते हैं। हालांकि जर्मनी में अब तक हुए आम चुनाव में किसी भी पार्टी को 31 प्रतिशत से कम वोट नहीं मिले थे।
यूनियन ब्लॉक का नेतृत्व मर्केल से अपने हाथ में लेने वाले नॉर्थ राइने-वेस्टफालिया प्रांत के गवर्नर आरमिन लैशेट अपनी पार्टी का जनाधार में जोश भरने में नाकाम रहे। उन्होंने कई गलत कदम भी उठाए। लैशेट ने कहा, ‘‘बेशक यह वोटों का नुकसान है जो अच्छा नहीं है।’’
लैशेट ने समर्थकों से कहा कि यूनियन के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे क्योंकि जर्मनी को भविष्य के लिए एक ऐसे गठबंधन की आवश्यकता है जो हमारे देश का आधुनिकीकरण करे। लैशेट और शोल्ज दोनों को ही ग्रीन पार्टी और फ्री डेमोक्रेट्स के समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं।
रविवार को हुई मतगणना में धुर दक्षिणपंथी ‘आल्टर्नेटिव फॉर जर्मनी’ 10.3 प्रतिशत वोट के साथ चौथे स्थान पर रही जबकि वाम दल को 4.9 प्रतिशत वोट मिले। अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 1949 के बाद यह पहली बार है जब डैनिश अल्पसंख्यक पार्टी एसएसडब्ल्यू संसद में एक सीट जीत पाई है। नतीजों से ऐसा प्रतीत होता है कि नयी सरकार के गठन में काफी जोड़ तोड़ करना होगा।