सिलीगुड़ी। हर साल 14 अप्रैल को सिख समुदाय द्वारा नए साल की शुरुआत के अवसर पर बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। सिलीगुड़ी के सेवक रोड गुरुद्वारा में शुक्रवार को बैसाखी का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारे के लंगर में प्रसाद वितरण की व्यवस्था की जाती है।
इस दिन गुरुद्वारा की ओर से गुरु परिसिंह जी ने कहा कि हर साल बैसाखी पर्व में नए धान के चावल से प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव, डिप्टी मेयर रंजन सरकार, मेयर पारिषद माणिक दे और संजय पाठक सिलीगुड़ी के गुरुद्वारे में उपस्थित हुए। मेयर गौतम देव ने बैसाखी पर्व के लिए सिख समुदाय को बधाई दी है।
बैसाखी के अवसर पर गुरुद्वारा में नई पीढ़ी को सिखाया गया पगड़ी बांधने की कला
सिलीगुड़ी। बैसाखी के अवसर पर गुरुद्वारा में नई पीढ़ी को पगड़ी बांधने की कला सिखाया गया। दरअसल आज ही के दिन से सिखों में पगड़ी बांधने की प्रथा शुरू हुई थी। साल 1699 में आज के दिन श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंत बनाया था। अंनतपुर साहेब की पावन धरती में उन्होंने 5 सिखों को सिंह की उपाधी दी। गुरु गोविंद जी ने सिख पुरुषों को सिंह व महिलाओं को कौर की उपाधी देते हुए जातिय भेदभाव को मिटा दिया। उस दिन से सभी सिख एक ही जाति के हो गये। समाज में ऊंच नीच का भेदभाव नहीं रहा। कोई छोटा बड़ा नहीं रहा।
आज का दिन खालसा पंत के सजाने का दिन है। आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को पगड़ी पहनाकर एक अलग पहचान दी। इस लिए आज के इस दिन को पूरे विश्व में बैसाखी के तौर पर मनाया जाता है। बैसाखी पर्व के महत्वपूर्ण जानकारी आज सिलीगुड़ी के गुरुद्वारा साहेब की ओर से श्री जी.एस. होड़ा जी ने दी। उन्होंने कहा कि आज पूरे दिन तक गुरुद्वारा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित की गयी। जिसमें नई पीढ़ी को पगड़ी बांधना सिखाया गया।