कोलकाता। राज्य सरकार ने एक दिन पहले ही बजट पेश किया है जिसमें कुछ विभागों में काम करने वाले कांट्रेक्चुअल एम्पलाइज को दो हजार रुपये का भत्ता देने की घोषणा की गई है। इसे लेकर दूसरे विभागों में काम करने वाले ठेका कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप शुभेंदु अधिकारी ने लगाया है। उन्होंने ट्विटर पर एक पत्र जारी किया है जिसमें इस बात का दावा किया है कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले एक निजी संस्था को ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति तय तरने के लिए रखा गया था। उनका इशारा प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक की ओर था। शुभेंदु ने दावा किया है कि इस संस्था के लिए काम करने वाले सभी लोगों को संविदा कर्मी के तौर पर पंचायत और स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त कर दिया गया है और इन्हीं को केवल अतिरिक्त भत्ता मिलेगा।
इन लोगों ने विधानसभा चुनाव से पहले दीदी के बोलो कार्यक्रम को संभाला था और अब पंचायत चुनाव से पहले तृणमूल कार्यकर्ता के तौर पर दीदी के दूत बनकर जा रहे हैं। बजट का एकमात्र मकसद राजनीतिक हित साधना है। यह बाकी विभागों में काम करने वाले संविदा कर्मियों के साथ सौतेला आचरण है। शुभेंदु ने अपने पत्र में दावा किया है कि पिछले 11 सालों के दौरान ममता बनर्जी की सरकार ने छह लाख पदों की सरकारी नौकरियों को समाप्त कर दिया है और उनकी जगह केवल ठेका कर्मियों की नियुक्ति की है।
नियुक्ति राज्य के हर एक विभाग में हुई है। इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग, विद्युत विभाग, परिवहन विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग, प्रशासनिक कार्यालय तथा जिला अधिकारियों के दफ्तरों में संविदा कर्मियों की नियुक्ति के साथ ही सिविल डिफेंस, आशा कार्यकर्ता और डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति हुई है। सभी को बजट में मिलने वाले भत्ते से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा है कि सभी संविदा कर्मचारियों के लिए समानता और समान भत्ता मिलना चाहिए।