कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सीधे नियंत्रण में आने वाले संवेदनशील गृह विभाग में संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति के राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाया। हाल ही में, राज्य सरकार ने गृह एवं पर्वतीय मामलों के विभाग को अनुबंध पर पांच सलाहकार और पांच कनिष्ठ सलाहकार की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी। ऐसे सलाहकारों के लिए मासिक मेहनताना 1,25,000 रुपये और कनिष्ठ सलाहकारों के लिए 75,000 रुपये बताया गया था।
दोनों ही मामलों में, कार्यनिष्पादन समीक्षा के आधार पर रोजगार की अवधि न्यूनतम दो वर्ष निर्धारित की गई थी, जो संभावित नवीनीकरण के अधीन थी। अधिकारी ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभाग की संवेदनशीलता को देखते हुए संविदा कर्मचारियों की भर्ती में सुरक्षा पहलू पर सवाल उठाया। अधिकारी ने कहा, सीएमओ और उसके व्यवहार की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए, यह गंभीर चिंता का विषय है।
स्थायी सरकारी कर्मचारियों के अलावा कॉर्पोरेट भर्ती इस तरह के अत्यधिक संवेदनशील डेटा को संभालेंगे। भाजपा नेता ने यह भी सवाल किया कि राज्य सरकार पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग (डब्ल्यूबीपीएससी) को दरकिनार कर इतने संवेदनशील विभाग में संविदा पर नौकरी क्यों कर रही है, और वह भी ऐसे समय में जब एक ही विभाग में स्थायी सरकारी कर्मचारियों के कई पद खाली पड़े हैं।
इसी अधिसूचना में राज्य सरकार ने कहा था कि वह सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के लिए 10 संविदा डेटा एंट्री ऑपरेटरों की भर्ती करेगी, जिनका मासिक मेहनताना 25,000 रुपये बताया गया था। इस मामले में, जैसा कि अधिकारी ने बताया, राज्य सरकार वेतनमान की पेशकश कर रही है जो समकक्ष पदों के लिए उससे काफी अधिक है।
अधिकारी के अनुसार, राज्य सरकार के उपक्रम वेबेल टेक्नोलॉजी लिमिटेड ने राज्य भर के विभिन्न विभागों के लिए 13,000 रुपये के निश्चित वेतन पर 2,900 से अधिक समान संविदा डेटा एंट्री ऑपरेटरों की भर्ती की थी। अधिकारी ने कहा, मैं मांग करता हूं कि पूरे राज्य में विभिन्न विभागों में ऐसे सभी संविदा डेटा एंट्री ऑपरेटरों को 25,000 रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए।