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सिलीगुड़ी। शिवम् पैलेस में विप्र फाउंडेशन के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा का प्रारंभ हुआ। गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने श्रीमद्भागवत व कथा व्यास का पूजन कर 11 अप्रैल से 17 अप्रैल तक चलने वाले इस श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ कर हजारो प्रभु प्रेमी गणों को कथा का रसास्वादन करवा रहे हैं। आज मुख्य यजमान डॉ. टोडरमल ज्ञानवती देवी तिवारी ने व्यास पूजन किया तथा श्री रामभगत शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन किया। कथा के प्रथम दिन श्री राधाकृष्ण जी महाराज द्वारा अपने उद्बोधन में श्रीमद् भागवत महात्म्य के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता ।
कथा व्यास श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत होती है इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है। श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
श्रीमद्भागवत कथा का मुख्य विषय भक्ति योग है, भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है।
स्वागत मंत्री पार्षद संजय शर्मा ने इस अवसर पर सभी समाज बन्धुओं का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्या यजमान ज्ञानवती देवी-डॉ. टोडरमल तिवारी, स्वागताध्यक्ष जुगलकिशोर तावणिया, स्वागत मंत्री पार्षद संजय शर्मा, अध्यक्ष रामचंद्र शर्मा, संयोजक दामोदर शर्मा, सचिव निरंजन शर्मा, कोषाध्यक्ष अनिल तिवारी, श्याम शर्मा, विपुल शर्मा, मनोज शर्मा, श्रवण शर्मा, पण्डित बजरंग शर्मा, पण्डित श्रीकिसन शर्मा सहित विप्र फाउंडेशन के सभी कार्यकर्ता तथा समाज के गणमान्य महानुभावों की भरपूर उपस्थिति रही।