* द्वितीय (शुद्ध) श्रावण पूर्णिमा के दिन जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान करें
* श्रावण चंद्रमास 31 अगस्त गुरूवार को समाप्त होगा।
वाराणसी। श्रावण पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है। श्रावण पूर्णिमा के विषय मेंज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि श्रावण महीना इस वर्ष 59 दिन का है, इसलिए इस साल सावन महीने में 2 पूर्णिमा और 2 अमावस्या का योग बना। इस वर्ष द्वितीय (शुद्ध) श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त बुधवार सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 31 अगस्त गुरूवार को सुबह 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। श्रावण रात्रि पूर्णिमा व्रत 30 अगस्त बुधवार को एवं दिवा पूर्णिमा व्रत 31 अगस्त गुरूवार को होगा। इसी के साथ 31 अगस्त गुरूवार को श्रावण चंद्रमास समाप्त होगा।
हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त बुधवार को सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 31 अगस्त गुरूवार को सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। लेकिन सावन पूर्णिमा तिथि शुरू होते ही भद्रा भी लग जा रही है जो बुधवार 30 अगस्त सुबह 10 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और उसी दिन रात्रि 09 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।
शास्त्रों का मत है कि भद्रा काल में राखी का त्योहार नहीं मनाना चाहिए। अगर आप 30 अगस्त बुधवार को राखी बांधना चाहते हैं तो 30 अगस्त बुधवार रात्रि 9 बजकर 04 मिनट के बाद राखी बांध सकते हैं। सूर्योदय व्यापिनी श्रावण पूर्णिमा तिथि 31 अगस्त गुरूवार को है गुरुवार 31 अगस्त सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर उसी दिन सुबह 7 बजकर 06 के मध्य काल में राखी बांधने से ऐश्वर्य और सौभाग्य की वृद्धि होगी।
श्रावण पूर्णिमा के दिन श्री गणेश जी, भगवान शिव जी, माता पार्वती जी, विद्या की देवी मां शारदे, भगवान विष्णु जी के स्वरूप श्री सत्यनारायण जी और चंद्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए तथा भगवान श्री सत्यनारायण जी की कथा पढ़ना अथवा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है। श्रावण पूर्णिमा को चंद्रदेव के दर्शन करने चाहिए और चंद्रदेव को दूध, गंगाजल, पुष्य और अक्षत मिलाकर अघ्र्य देने से जीवन में आ रही आर्थिक दिक्कतें दूर होती है। इस दिन चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः’ अथवा ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जप अवश्य करें।
श्रावण पूर्णिमा के दिन देव, ऋषि एवं पितरों का तर्पण भी किया जाता है पूर्णिमा पर पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व है और घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान अवश्य करें ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848