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पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी : नए साल 2022 का प्रारंभ हो चुका है और प्रदोष व्रत का प्रारंभ भी सबसे पहले शनि प्रदोष व्रत से हो रहा है। शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत रखने और विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है। जिन लोगों को कोई संतान नहीं होती है, उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने का सुझाव देते हैं। पंचांग के अनुसार हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 14 जनवरी दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 19 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन अगले दिन 15 जनवरी को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, साल 2022 का पहला प्रदोष व्रत 15 जनवरी दिन शनिवार को रखा जाएगा। यह शुक्ल पक्ष का शनि प्रदोष व्रत है।
जो लोग शनि प्रदोष व्रत रखेंगे, उनको पूजा के लिए 2 घंटे 42 मिनट का समय प्राप्त होगा। 15 जनवरी को शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 08 बजकर 28 मिनट तक भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम मुहूर्त है। इस मुहूर्त में शनि प्रदोष की पूजा करना अच्छा रहेगा।
ब्रह्म योग में शनि प्रदोष व्रत : साल 2022 का पहला प्रदोष व्रत ब्रह्म योग में है। 15 जनवरी को ब्रह्म योग दोपहर 02 बजकर 34 मिनट तक है, उसके बाद से इंद्र योग शुरू हो जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है। वहीं रवि योग रात 11 बजकर 21 मिनट से अगले दिन 16 जनवरी को प्रात: 07 बजकर 15 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत महत्व : प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन, संपत्ति, संतान, शांति, आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है। शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र का प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा : बहुत समय पहले एक सेठ रहा करता था। वह सेठ धन-धान्य से परिपूर्ण था लेकिन वह हमेशा दुखी और परेशान रहा करता था। उसके दुख की वजह यह थी कि उसकी एक भी संतान नहीं थी। एक दिन सेठ ने अपना सारा कारोबार नौकरों को दे दिया और अपनी पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर चला गया। अपने गांव से बाहर निकलते ही उसे एक साधु मिला जो भक्ति में लीन था। साधु को देखते ही वह उनका आशीर्वाद लेने के लिए चला गया। साधु भक्ति में लीन थे इसीलिए सेठ और सेठानी उसके पास बैठ गए। जब साधु ने अपनी आंखें खोली तब उसे पता चला कि सेठ और सेठानी उसके आशीर्वाद के लिए बहुत देर से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
साधु ने सेठ को बताया कि वह उसके दुख के कारण को अच्छी तरह से जानता है। दुखों के निवारण के लिए साधु ने सेठ को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। साधु से प्रदोष व्रत की विधि और महात्मय जानकर वह दोनों तीर्थ यात्रा पर चले गए। जब वह दोनों तीर्थ यात्रा से वापस लौटे तो प्रदोष व्रत करने की तैयारी में जुट गए। सेठ और सेठानी ने प्रदोष व्रत किया जिसके फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र मिला।
जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848