शिविर के दूसरे दिन कलाकृतियों को देखने उमड़े नगर के कलाकार व कलाप्रेमी
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के सहयोग से वास्तुकला एवं योजना संकाय टैगोर मार्ग परिसर में चल रहे आठ दिवसीय अखिल भारतीय समकालीन मूर्तिकला शिविर के दूसरे दिन पत्थरों में आकृतियां उभरने लगी। देश के पांच राज्यों से आये दस कलाकारों ने शिविर के दूसरे दिन पत्थर में आकृतियों को उकेरना शुरू किया। साथ ही नगर के अनेक कलाकारों, छात्रों और कला प्रेमियों ने इस शिविर में बन रहे कलाकृतियों को देखने की भी उत्साह दिखाए और कलाकारों के कार्यों की सराहना की।
शिविर में दस मूर्तिकारों में आठ पुरुष और दो महिला मूर्तिकार हैं। शिविर में अहमदाबाद गुजरात से निधि सभाया युवा महिला मूर्तिकार है, जिन्होंने अपनी कला शिक्षा एम् एस यूनिवर्सिटी बरोदा गुजरात से दो वर्ष पूर्व पूरी की है। निधि एक ऊर्जावान मुर्तिकार हैं। जिनकी कृतियाँ साइंस स्ट्रक्चर पर आधारित होतीं हैं। इनकी मूर्तियों में छोटे बड़े कई तरह के आकार और छोटी-बड़ी छेदनुमा आकृतियाँ दिखाई देती है, जिनको ये अपनी मुर्तियों में ब्रीदिंग स्पेस की तरह प्रयोग करती हैं। माध्यम के रूप मे निधि ज्यादातर मार्बल का इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि इनका मानना है कि मार्बल एक ऐसा माध्यम है जिसमे संभावनायें ज्यादा होती हैं।
शिविर में दूसरी महिला मूर्तिकार अवनी पटेल सूरत गुजरात से है, ये एक स्वतंत्र मूर्तिकार के रूप में कार्य कर रही है। इनका विषय मुख्यतः स्वंय के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव एवं प्रकृति पर आधारित होते हैं। इसका मानना है कि हमारा प्रकृति के साथ एक अलग रिश्ता होता है। अवनी को जल, चन्द्रमा आदि प्राकृतिक चीजों से एक अलग ही लगाव प्रतीत होता है। माध्यम में इन्हें गुलाबी एव काला मार्बल विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा ये अपने कृतियों में ब्रांस के विभिन्न आकारों का भी प्रयोग समय-समय पर करती है।
शिविर के कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि शिविर का विषय प्रकृति है। सभी कलाकार इसी विषय पर अपने अपने विचारों को पत्थर पर मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं। कलाकारों का मानना है की शिविर के चौथे दिन पूर्ण आकृतियों को साफ तौर पर देखा जा सकता है। सभी कलाकारों से उनके कार्यों पर बातचीत व साक्षात्कार करने का काम शिविर के डॉक्यूमेंटेशन टीम में रत्नप्रिया और छायाकार हर्षित बखूबी कर रहे हैं।
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