कोलकाता। भारतीय महावाणिज्य दूतावास, जोहानसबर्ग द्वारा दिनांक 10 जनवरी, 2022 को विश्व हिंदी दिवस का सफल आयोजन किया गया। दक्षिण अफ्रीका में इस आयोजन के अंतर्गत हिंदी भाषा के सुविख्यात विद्वानों ने अपनी वाणी से हिंदी के राष्ट्रीय एवं वैश्विक महत्त्व को प्रतिपादित करने के साथ-साथ राजभाषा एवं जनभाषा के रूप में हिंदी की सार्थकता और सामर्थ्य पर प्रकाश डाला । इस अवसर पर श्री नंद किशोर पांडेय, श्री माधव कौशिक, श्री दामोदर खडसे, श्री कुमार अनुपम, श्री शिव नारायण तथा पश्चिम बंगाल शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान की माननीया कुलपति प्रोफेसर (डॉ) सोमा बंद्योपाध्याय सदृश ख्यातिलब्ध साहित्यकारों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति एवं शानदार अभिभाषण से इस कार्यक्रम को महनीय एवं सर्वोत्तम बनाया।
प्रो. (डॉ.) सोमा बंद्योपाध्याय जी ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा एवं राजभाषा के रूप में उसके महत्त्व को उजागर करते हुए बांग्ला भाषा के साथ हिंदी के अन्तरसम्बध को स्पष्ट किया । उन्होंने हिंदी-बांग्ला साहित्य में नाटक, उपन्यास, कहानियों एवं कविताओं के अनुवाद की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए दोनों भाषाओं की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को बड़े ही सरस एवं ज्ञानवर्धक रूप में प्रस्तुत किया।
प्रो. बंद्योपाध्याय ने अपने अभिभाषण में हिंदी के विकास में बंग प्रदेश, बंगाल के विद्वानों एवं मनीषियों तथा वर्तमान समय में इसके उत्थान में अहम योगदान दे रहे शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संस्थानों के महत्व का विस्तृत परिचय दिया। अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए हिंदी की वैश्विक शक्ति और क्षमता को भी उद्घाटित किया। पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में हिंदी की ऐतिहासिक-सामाजिक-सांस्कृतिक परंपरा और वर्तमान संदर्भ में हिंदी के भविष्य के विभिन्न संदर्भों को मैम ने अपने वक्तव्य में सम्मिलित किया। विशेषकर शिक्षा, व्यवसाय और रोजगार के क्षेत्र में हिंदी की वर्तमान स्थिति का विस्तृत विश्लेषण उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रस्तुत किया।