तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। पूर्व मेदिनीपुर जिला अंतर्गत योगदा सत्संग पालपाड़ा महाविद्यालय के बांग्ला विभाग द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आईक्यूएसी के सहयोग तथा कॉलेज की आंतरिक गुणवत्ता शाखा द्वारा आयोजित संगोष्ठी का विषय था ‘लघु पत्रिका और बांग्ला साहित्य’। मुख्य वक्ता ज्वलदारची पत्रिका के कवि, संपादक ऋत्विक त्रिपाठी थे। अतिथियों ने पौधों पर जल छिड़क कर गोष्ठी की शुरुआत की। छात्र-छात्राओं सहित विश्वविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डाॅ. प्रदीप कुमार मिश्रा, बांग्ला विभाग के प्रो. मृणाल कांति दास, प्रोफेसर पंडित, राजनीति विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. पारामिता गांगुली, बीई विभाग के प्रो. शेख मोनिरुल इस्लाम आदि संगोष्ठी में शामिल थे।
उनकी चर्चा में लघु पत्रिका के त्याग और समर्पण, सामाजिक उत्तरदायित्व पर विस्तार से चर्चा हुई। लघु पत्रिका किसे कहते हैं, अखबार, सामान्य पत्र पत्रिकाएं और लघु पत्रिका के क्या फर्क है? लिटिल मैगज़ीन मूवमेंट के नाम से क्या-क्या माँगें उठती हैं! ईमानदार और सही साहित्य को खोजने और बढ़ावा देने में छोटी पत्रिका की क्या भूमिका है! वर्तमान छोटी पत्रिका अपनी विश्वसनीयता खो रही है आदि विभिन्न विषय ऋत्विक के भाषण में आए। प्रश्नोत्तर सत्र में भी विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। छात्रों ने भी एक छोटी पत्रिका निकालने की इच्छा व्यक्त की।
इस दिन की गोष्ठी में ‘बिंदु सिंधु: संदर्भ बंगाली लघु पत्रिका’ नामक पत्रिका भी प्रकाशित हुई, जिसमें मृणाल कांति दास, श्रीमती पंडित, ऋत्विक त्रिपाठी, सुमना पाल मंडल, सुशांत बेरा, शुभव्रत माईती आदि ने छोटे से विषय पर कलम उठाई। ऋत्विक त्रिपाठी बांग्ला विभाग के दीवार समाचार पत्र ‘निप्पन’ का प्रकाशन करते हैं। प्राचार्य प्रदीप कुमार मिश्र ने अपने उद्बोधन में इस प्रकार के गोष्ठियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने संगोष्ठी में ऐसे नए विषयों का चयन करने के लिए सभी के साथ बांग्ला विभाग को धन्यवाद दिया।