नीलांबर कोलकाता द्वारा रेणु की कहानी संवदिया पर बनी फिल्म की स्क्रीनिंग एवं संवाद कार्यक्रम संपन्न

आनंद गुप्ता : अररिया, रेणु ग्राम में लोक-हृदय सम्राट, आंचलिकता को हिंदी में स्थापित करनेवाले अलबेले कथाकार एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सहयोगी फणीश्वर नाथ रेणु का उनकी जन्मभूमि पर सौवीं जयंती कोलकाता की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था नीलाम्बर द्वारा मनायी गयी। हिंदी के एक बड़े रचनाकार की जन्मभूमि पर किया गया यह कार्यक्रम उस अंचल के लोक को समर्पित और संबोधित रहा। इस समारोह का उद्घाटन रेणु जी के वरिष्ठ पुत्र-द्वय श्री पद्म पराग और श्री अपराजित के द्वारा किया जाना महत्त्वपूर्ण रहा। कार्यक्रम में भाग लेनेवाले अतिथि के रूप में विनय कुमार, राकेश बिहारी, राजेश कमल एवं जिला प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित थे। रेणु के इस शतवार्षिकी समारोह का मुख्य आकर्षण रहा नीलाम्बर द्वारा निर्मित संवदिया फिल्म की पहली स्क्रीनिंग।

यह फिल्म रेणु जी की इसी नाम से चर्चित कहानी पर आधारित है। इस फिल्म के अधिकतर हिस्से की शूटिंग रेणु जी के जन्म-अंचल में ही की गई है इसलिए भी इस फिल्म के प्रति वहां के लोगों का आकर्षण स्वाभाविक था। अतः सभागार में बैठे सभी दर्शक भावुकता के साथ फिल्म में अपने आपको ढूंढने की कोशिश में दिख रहे थे।

श्री पद्म पराग ने समकालीन संदर्भों में अपने पिता के लेखन को देखने-समझने की बात कही। संवदिया पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि आज समाज में किसी स्त्री का संवदिया की बड़ी बहुरिया की स्थिति में जीना कचोटता और कसकता है। यह समाज के लिए शर्मिंदगी की बात है। श्री अपराजित ने अपने पिता के जीवन को आज के समय के गांव की स्थिति के साथ जोड़ कर देखने की बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि साहित्य समाज के लिए लिए होना चाहिए, जनता के लिए होना चाहिए।

कवि-आलोचक विनय कुमार ने रेणु की आंचलिकता के महत्त्व को दर्शाते हुए सामाजिक यथार्थ और संघर्ष को एक नए दृश्य में देखने-दिखाने की कोशिश की। हिंदी कथाकार राकेश बिहारी ने संवेदिया कहानी को केंद्र में रखकर अपनी बात रखी। उन्होंने रेणु के गाँव में नीलाम्बर कोलकाता द्वारा किए गए इस कार्यक्रम की सराहना की। फिल्म में एक संवदिया के मन में द्वन्द की स्थिति और परिवार के विघटन के बाद स्त्री के जीवन में उठी गरीबी और अकेलेपन की पीड़ा को दिखाया है।

संवदिया फिल्म के निर्देशक और नीलाम्बर कोलकाता के सचिव रितेश कुमार ने फिल्म के लिए अपने संघर्षों और उपलब्धियों को सबके सामने रखा। कार्यक्रम में संवदिया फिल्म के कलाकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ममता पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ० मंटू कुमार ने किया है। तकनीकी विभाग में विशाल पांडेय और अभिषेक पांडेय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम का समायोजन मनोज झा और आदित्य प्रियदर्शी ने किया है। यह कार्यक्रम साहित्य और जनता की सहभागिता के सुंदर उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा।

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