महंगाई की आरी – टमाटर के बाद अब प्याज की तैयारी

प्याज की मार – एक्शन में सरकार – 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क का भार
टमाटर जैसा हाल प्याज का भी ना हो जाए इसलिए प्याज निर्यात पर 40 परसेंट निर्यात शुल्क लगाना उचित कदम – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में टमाटर और प्याज को स्वाद याने टेस्ट की चाबी माना जाता है जो भोजन रूपी दरवाजे और उसके स्वाद को प्याज टमाटर रूपी चाबी से खोला जाता है। यानें यह दोनों नहीं रहे तो मेरा मानना है कि अमीर से गरीब व्यक्ति तक को भोजन के स्वाद में कुछ ना कुछ कमी महसूस करने को मिल जाएगी। इसका अनुभव घर के होम मिनिस्टर यानें महिलाओं को अधिक अनुभव होना लाजमी है, क्योंकि बिना प्याज, टमाटर के सब्जी बनाना कितना मुश्किल होता है इनसे अधिक कोई नहीं जान सकता। क्योंकि यदि सब्जी में प्याज किसी को वर्जित है तो उसका अल्टरनेट टमाटर है और टमाटर का अल्टरनेट प्याज है, यदि दोनों ही नहीं हो तो स्वाद की चाबी गुम समझो!

जी हां यह बात हम सबको अनुभव अभी हुई है, जब टमाटर का रेट हमने 400 रुपए प्रति किलोग्राम तक भी दिए हैं, फिर सरकार ने नाफेड के माध्यम से टमाटर सस्ते में बेचना चालू किया। जिससे राहत मिली अब टमाटर नाफेड में 40 रुपए प्रति किलोग्राम से आपूर्ति हो रहें है। परंतु फिर चली है महंगाई की आरी, टमाटर के बाद अब प्याज की तैयारी! जिस तरह से प्याज के भाव बढ़ते जा रहे हैं, हमें टमाटर के भाव के कुछ दिनों पहले जो अतीत बनें याद आ रहे हैं और अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत शनिवार 19 अगस्त 2023 को 30.72 रुपए प्रति किलोग्राम और अधिकतम कीमत 63 रुपए प्रति किलोग्राम और न्यूनतम कीमत 10 रुपए प्रति किलोग्राम हुआ।

जिसका आभास होते ही सरकार ने दिनांक 19 अगस्त 2023 को वित्त मंत्रालय राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचना क्रमांक 47/2023 सीमाशुल्क जारी कर प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है जो तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर 2023 तक जारी रहेगा। क्योंकि एक जानकारी के अनुसार जनवरी-मार्च 2023 में प्याज का निर्यात 8.2 लाख टन रहा जबकि यही पिछली अवधि यानें जनवरी-मार्च 2022 में 3.8 लाख टन था। चूंकि प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ रही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्याज की मार, एक्शन में सरकार 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क का भार।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम टमाटर के बाद अब प्याज की कीमतों में वृद्धि और सरकार द्वारा निर्यात शुल्क लगाने की करें तो, टमाटर की आसमान छूती कीमतों से बड़ी मुश्किल से निजात मिली है। धीरे-धीरे टमाटर के दाम कम होने शुरू हुए है। टमाटर की कीमतों के बीच प्याज ने सरकार की चिंता बढ़ाना शुरू कर दिया। प्याज की बढ़ती कीमतों का हाल भी टमाटर जैसा न हो जाए इसलिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है, प्याज की मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में आपूर्ति में सुधार के लिए प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत नियार्त शुल्क लगाया है। दरअसल प्याज की कीमतों में लगातार तेजी आ रही है। कई रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि सितंबर के महीने में प्याज की कीमतों में और उठाल देखने को मिल सकता है। सरकार ने प्याज के अलावा टमाटर की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए भी बड़ा कदम उठाया था।

सरकार 20 अगस्त 2023 से 40 रुपए प्रति किलो के भाव से टमाटर बेच रही है। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने नाफेड और एनसीसीएफ को 20 अगस्त को 40 रुपये भाव पर टमाटर बेचने का निर्देश दिया था। अब प्याज की कीमत 50 रुपये से 60 रुपये तक होने जाने की संभावना जताई जा रही है। सरकार ने इन कीमतों को नियंत्रित करने के लिए यह कमद उठाया है। इससे पहले सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए नई फसल के आने तक कुछ खास क्षेत्रों में अपने बफर स्टॉक से प्याज बाजार में उतारने की घोषणा की थी। खराब गुणवत्ता वाले प्याज की बड़ी हिस्सेदारी, टमाटर के साथ-साथ अन्य सब्जियों की बढ़ी कीमत, बाढ़ और भारी बरसात के कारण प्याज की कीमतों को महंगा करने के लिए जिम्मेदार है। गौरतलब है कि सब्जियों और अनाज की कीमतों में तेज उछाल के कारण खुदरा मुद्रास्फीति के दर में बढ़त देखने को मिली है। जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी पर पहुंच गया। खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

साथियों बात अगर हम प्याज पर निर्यात शुल्क 40 प्रतिशत लगाने के कारणों की करें तो, इस साल जनवरी से मार्च 2023 की अवधि में प्याज का निर्यात असाधारण रूप से उच्च स्तर पर लगभग 8.2 लाख टन रहा है, जबकि पिछले साल इस अवधि में यह 3.8 लाख टन था। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मानसून के देरी से आने के कारण खरीफ की बुआई में देरी हुई।यही कारण रहा है कि प्याज समेत अन्य जरूरी सब्जियों की औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले के 25 रुपये की तुलना में बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। इससे पहले, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से 1.50 लाख टन प्याज की खरीद की थी। इसके अलावा, प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए सरकार ने पायलट आधार पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की मदद से इसका विकिरण शुरू किया।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 से 2023-24 के बीच उच्च खपत वाले क्षेत्रों में रबी सीजन की खरीद के कारण प्याज का वार्षिक बफर एक लाख टन से तीन लाख टन तक होगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, प्याज बफर ने उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मूल्य स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।भारत को प्याज की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति रबी सीजन से प्राप्त होती है, जिसकी कटाई अप्रैल-जून के दौरान होती है और अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जाता है।

साथियों बात अगर हम जुलाई में मुद्रा स्फीति दर टमाटर सब्जियों के कीमतों में वृद्धि के कारण अधिक बढ़कर 7.44 प्रतिशत की करें तो, जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44 प्रतिशत हो गई, जो जून में 4.87 प्रतिशत थी पिघले हफ़्ते सरकार की ओर से इसके आंकड़े जारी किए गए। जुलाई में खुदरा महंगाई दर आरबीआई की ओर से तय महंगाई के बैंड दो से छह प्रतिशत के दायरे से बाहर निकल गई है। सब्जियों खासकर टमाटर समेत खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण जुलाई 2023 में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7 फीसदी के पार पहुंच गई है। बता दें कि जुलाई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 7.44 फीसदी दर्ज की गई थी। पिछले साल जुलाई, 2022 में ये 6.71 फीसदी थी। इसके पहले जून, 2023 में ये 4.87 फीसदी थी। जुलाई में फूड बास्केट में महंगाई दर 11.51 फीसदी थी।

साथियों बात अगर हम प्याज महंगे होने के इतिहास की करें तो, प्याज के महंगे होने की कहानी कोई पहली बार की नहीं है। अगर 10 साल पीछे के प्याज कारोबार को देखें तो महंगी प्याज ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। देश की सरकारों को हिलाने के साथ ही यह भी पहला ही मौका था जब किसी सामान के महंगा होने की वजह जानने के लिए जांच आयोग बनाया गया था। हालांकि जमाखोरों और दलालों के चलते आयोग को अपना काम बीच में ही बंद करना पड़ा था। लेकिन बंद होने से पहले आयोग ने यह रिपोर्ट दे दी थी कि प्याज महंगी होने के पीछे कोई एक नहीं कई बड़ी वजह हैं। आपको बता दें कि दिल्ली समेत देश भर में रफ्तार पकड़ रही प्याज के भाव को कंट्रोल करने की कवायद का असर शायद दिखने लगा है। सरकार ने प्याज की आसमान छूती कीमतों के मद्देनजर इसके भंडारण की अधिकतम सीमा तय कर दी है। इसके अलावा निर्यात पर 40 प्रतिशत के उपाय किए गए हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महंगाई की आरी – टमाटर के बाद अब प्याज की तैयारी।प्याज की मार – एक्शन में सरकार – 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क का भार। टमाटर जैसा हाल प्याज़ का भी ना हो जाए इसलिए प्याज़ निर्यात पर 40 परसेंट निर्यात शुल्क लगाना उचित कदम है।

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