शनि का राशि परिवर्तन 17 जनवरी से हो गया, अगले ढाई वर्षों तक जानिए किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा

वाराणसी। नये साल के आगमन के साथ नौ ग्रहों में सबसे प्रमुख ग्रह माने जाने वाले शनि देव भी 17 जनवरी से राशि परिवर्तन कर चुके हैं। 17 जनवरी 2023 से शनिदेव पूरे ढाई साल बाद अपना राशि परिवर्तन कर चुके हैं। शनि 17 जनवरी को रात 08:02 मिनट पर 26 महीनों के लिये अपनी राशि मकर से निकलकर मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में प्रवेश किए और अगले ढाई वर्षों तक यानि 29 मार्च 2025 तक इस राशि में रहेंगे व बीच में समय-समय पर वक्री व मार्गी होते रहेंगे। गुरु, शनि, राहु व केतु का राशि परिवर्तन नवग्रहों में सबसे विशेष एवं बड़ा माना जाता है व इन ग्रहों का एक राशि से किसी दूसरी राशि में जाना मानव जीवन को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

2023 में शनि ग्रह का यह राशि परिवर्तन हमारे जीवन को किस तरह प्रभावित करेगा, किस राशि पर शनिदेव का आशीर्वाद बना रहेगा, किस राशि व लग्न पर शनिदेव की क्रूर दृष्टि रहेगी, किसकी मनोकामनाएँ पूरी करेगें शनि! ज्योतिषीय आधार पर यह निचोड़ निकालना बेहद जरूरी है। जानिये की किन राशियों पर शुरू हो रही है शनि की साढ़े साती और ढैय्या– जनवरी 17 को 2023 में शनि के कुम्भ राशि में आते ही मीन राशि पर शनि की साढ़े साती शुरू हो गई और कुम्भ राशि पर साढ़े साती का दूसरा यानि मध्य चरण शुरू हो गया व मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का तीसरा यानि अन्तिम चरण शुरू हो गया। हिन्दू पंचांग व ज्योतिषीय गणना के आधार पर उपरोक्त तीनों राशियों मकर, कुम्भ व मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव स्पष्ट रूप से बना रहेगा। इसी के साथ इस वर्ष कर्क व वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या भी शुरू होगी।

किन राशियों को शनि की साढ़े साती व ढैय्या से मिलेगी मुक्ति :
साल 2023 में धनु राशि के जातक शनि की साढ़े साती से पूरी तरह मुक्त हो जायेंगे और मिथुन, तुला राशि के जातक भी ढैय्या से मुक्ति पाएंगे। मेरा यह विस्तृत रूप से लिखा गया लेख केवल उन्हीं जातकों के लिये उपयोगी है, जिनकी राशि व लग्नों पर आने वाले वर्ष 2023 में शनि की साढ़े साती का प्रभाव आरंभ होने वाला है। फिलहाल यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि मेरी ज्योतिषीय गणना तीन राशियों क्रमशः मकर, कुम्भ व मीन राशि पर आधारित है और इन्हीं को ध्यान में रखकर गहन ज्योतिषीय अध्ययन-मनन करने के बाद विश्लेशण किया जा रहा है। तो बढ़ते हैं आगे यह जानने के लिए कि क्या-क्या महत्वपूर्ण होने वाला है इन तीन राशियों के साथ आने वाले वर्ष 2023 में…

मकर राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव : मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का अंतिम दौर शुरू होने जारहा है । मकर राशि वालों के लिए शनि की तिसरी दृष्टि पड़ेगी चतुर्थ भाव और मेष राशि पर, सप्तम दृष्टि पड़ेगी सिंह राशि यानी अष्टम भाव पर और दशम दृष्टि पड़ेगी वृश्चिक राशि यानी आय स्थान पर रहेगी। शनि दूसरे यानी धन भाव में होने से आय और लाभ में वृद्धि होगी। शनि की तीसरी दृष्टि चतुर्थ भाव में होने के कारण माता के स्वास्थ्य में समस्या बहुत से लोगों को होगी। लेकिन उस व्यक्ति की वास्तविक कुंडली में ग्रह गोचर का क्या प्रभाव है उसी के अनुसार परिणाम प्राप्त होगा। परिवारिक मामलों में थोड़ी बहुत समस्या आसकती है कुछ मामलों में बड़ी कठनाएं भी हो सकती है। चतुर्थ भाव में राहु नवंबर तक रहेंगे और जनवरी से शनि की राहु पर दृष्टि रहेगी इस स्थिति में परिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त रहेगा।

अष्टम भाव पर शनि की दृष्टि के कारण स्वास्थ्य में भी समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसी कोई बड़ी समस्या नही है लेकिन छोटी-मोटी समस्या के कारण स्वास्थ्य के लिए धन भी खर्च होगा। जमीन बेचने पर आपको इस समय लाभ प्राप्त होगा। पर जब तक राहु चतुर्थ भाव में है तब तक जमीन ना बेचे। यह वर्ष शिक्षा प्रतियोगिता के लिए लाभ देने वाला है, आपकी वाणी सार गर्भित होगी। इस दौरान कुछ लोगों को कुछ चिंताये भी सतायेंगी, कुछ लोगों को अचानक एकांकी महशुस होगी, कुछ लोग खुद का आत्म चिंतन करेंगे। मकर राशि वालों को यह साढ़े साती धन-धान्य में वृद्धि करेंगे, कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी, परिवारिक जीवन में थोड़ी बहुत समस्या रहेगी। गंभीर चिंतन और आत्मचिंतन के लिए यह समय अच्छा रहेगा।

कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव : कुंभ राशि वालों के लिए यह साढ़े साती का मध्य दौर प्रारंभ होगा। कुंभ राशि शनि की स्वयं की राशि है यहाँ शनि कम नुकसान करते हैं इसके कारण व्यक्ति के अंदर काफी गंभीरता आयेगी जल्द बाजी में आप काम नहीं करेंगे एक स्थिरता रहेगी आप के अंदर यानी धीर गंभीर व्यक्ति आप बनोगे। यह गोचर काफी लोगों के लिए आध्यात्मिक जागृता करेगा। कार्यक्षेत्र में विस्तार होगा, बड़े प्रभावशाली व्यक्ति आप के प्रभाव में आयेंगे, आप के ज्ञान और कर्म के बल पर लोग आप की ओर खीचेंगे, आप का दब-दबा और उन्नति कार्य क्षेत्र पर बढ़ेगी।

शनि की तीसरे भाव पर दृष्टि के कारण आपके करीबी लोग आपको नही समझ पायेंगे। करीबी रिश्तों में अलगाव वियोग की संभावना बनेंगी साथ ही साथ भाई के लिये कष्टकारी स्थिति उत्पन्न होगी। शनि व्यक्ति को एकांत, निरवता अकेलापन में रहने वाला व्यक्ति बनता है। शनि की दृष्टि विवाह जीवन पर पड़ने के कारण यह स्थिति वैवहिक जीवन के लिए दुष्कर बनाती है अगर कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक ना हो सूर्य कमजोर या नीच का हो तो यह स्थिति विवाह को तोड़ने वाली हो सकती है। जीवन साथी की कुंडली अच्छी भी हो तो भी वैवहिक जीवन में कुछ ना कुछ उथल-पुथल परेशानियाँ उत्पन्न होगी। आध्यात्म के लिए गंभीर चिंतन के लिए कार्य व्यापार के लिए यह समय अनुकूल है।

मीन राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि साढ़े साती का प्रथम चरण सामान्यतः बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों को जन्म देने वाला व कष्टदायक फल देने वाला होता है। शनि की साढ़े साती मीन राशि के जातकों के लिये कई तरह की चुनौतियां लेकर आ रही है। ऐसे में यदि व्यक्तिगत कुंडली में देव गुरु बृहस्पति की स्थिति उत्तम नहीं है या शनि भी मजबूत स्थिति में नहीं है, तो समझिये की आप भारी मुसीबतों में फँस सकते हैं। क्योंकि शनि की साढ़े साती का असर तभी अल्प कष्टकारी हो सकता है, जब मूल कुंडली में राशि स्वामी व शनि की स्थिति अच्छी रहे। अन्यथा यह आने वाला साल मीन राशि के जातकों के लिये भारी मात्रा में मानसिक व शारीरिक रूप से चिंताजनक स्थिति को जन्म दे सकता है। यदि व्यक्तिगत कुंडली में राशि स्वामी बृहस्पति की स्थिति उत्तम बनी हुई है व शनि भी वहां पर आपके लिये उतना ही सहयोग देते हुये नज़र आ रहे हैं, तब तो आप भारी भरकम मुसीबतों के भंवर में होकर भी वापस किनारे पर लौट आयेंगे। क्युंकि आपकी राशि मीन पर शनि देव साढ़े साती के रूप में अपनी मनमानी करेंगे ज़रूर! यह तय बात है लेकिन राशि के स्वामी गुरु देव की कुंडली में मजबूत स्थिति आपको को बेसहारा नहीं छोड़ेगी।

मीन राशि व लग्न के साढ़े साती के प्रभाव में रहने पर शनि आपकी कुंडली के बारहवें भाव में गोचर करेंगे अगले ढाई वर्षों तक। यहां यह बात सूक्ष्म रूप से गौर करने लायक है कि आपको अस्पताल में भर्ती होने से लेकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर, विदेश से कार्य व्यवसाय का सम्बंध होने पर वित्तीय नुकसान, बैंक से लोन की ज़रूरत या बैंक से कोई अनुबंध समय पर पूरा ना होना या टूटना व खातों में जमा रकम का अचानक किसी मुसीबत में खर्च होना, अचानक कोई पुराना रोग उभर आने या किसी गम्भीर बीमारी का पता लगने का अचानक कोई संकट आता हुआ दिख सकता है। इसलिये साढ़े साती के दौरान इन सभी मामलों में आपको विशेष रूप से सचेत रहने की आवश्यकता होगी।

मीन राशि के व्यक्तियों को अपना हठी किस्म का द्वी स्वभाव छोड़ना होगा यदि साढ़े साती के दुष्परिणाम से बचना है। वैसे भी मीन राशि के जातक अपने नैसर्गिक स्वभाव से मुश्किल समय में भी टस से मस नहीं होते हैं, क्युंकि यह गुरु के प्रभाव के कारण धैर्यवान, धीर गंभीर प्रकृति के होते हैं। बस यही समझ और इन जातकों को शनि की साढ़े साती के वक्त अपने अंदर धैर्य बनाये रखना होगा तभी यह इस पीड़ादायक व विषमताओं से घिरे हुए होने पर भी साढ़े साती के दुष्प्रभाव व इस कठिन समय को निकाल पाने में सफल हो पाएंगे।

मीन राशि के जातकों के लिए साढ़े साती के दुष्प्रभाव : शनि का मूल स्वभाव है जीवन में अचानक चुनौतियां देना, ऐसी सच्चाई का आईना दिखाना, जिसे अभीतक आप अपने जीवन में देख या जान ही नहीं पाये होंगे। क्युंकि मीन राशि द्वी स्वभाव व अपने में मगन रहने वाली राशि है, इसलिये आपको लगेगा कि जीवन तो बहुत अच्छे से चल रहा है, कोई कर्जा नहीं है, घर में कोई परेशानी भी नहीं है, ऑफिस में भी सब बढ़िया चल रहा है, बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं, पति पत्नी के रिश्ते भी मधुर हैं, माता पिता का स्वास्थ्य भी ठीक है, सब कुछ आस पास व पड़ोस में भी एकदम बेहतरीन चल रहा है, तो आखिर परेशानी आयेगी किस दिशा से? बस यही शनि आपको चकमा देंगे! जो लग्न व राशि शनि की साढ़े साती के प्रभाव में अगले ढाई वर्षों तक रहेंगी, उनके लिये एक अन्य बात यहाँ गौर करने वाली यह है।

अगले 18 महीने राहु मेष राशि में गोचर कर रहे हैं जो 1 नवंबर 2023 तक संचरण करेंगे। इसी दौरान देव गुरु बृहस्पति भी मई 2023 में राहु के साथ अगले 6 महीने तक यानि नवंबर तक गोचर करेंगे। अब जैसा कि आप सभी लोग भली-भाँति परिचित हैं कि मीन राशि के अधिपति बृहस्पति ग्रह हैं और ये मई से नवंबर तक राहु के साथ बैठने वाले हैं व इस बीच यह गुरु राहु युति “गुरु चांडाल” योग का निर्माण करेगी व साथ ही शनि की “नीच दृष्टि” भी इस युति पर रहेगी, जिस वजह से मीन राशि व लग्न को अधिक कष्ट उठाने पड़ सकते हैं। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव व ज्योतिषीय शोध के आधार पर यही कहना चाहूंगी कि इस बीच कोई भी मांगलिक कार्य, घर खरीदना आदि मई से नवंबर तक या तो टाल दें या फिर बहुत सोच समझ कर आगे बढें। टालने पर आगे आपको इससे कहीं अधिक बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। क्योंकि किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए देव गुरु बृहस्पति की स्थिति उत्तम अवस्था में होनी अत्यंत आवश्यक है और यहां इस बीच गुरु देव राहु और शनि के नकारात्मक प्रभाव के कारण गम्भीर दबाव में स्थित होंगे।

ज्योतिषीय अध्ययन मनन करने के बाद एक बात और मैं यहाँ स्पष्ट करना चाहती हूँ कि यदि आपकी मूल कुंडली में कोई अन्य ग्रह (सूर्य को छोड़कर) शनि के नकारात्मक प्रभाव की काट कर रहा है, तो यहां शनि अपना अशुभ प्रभाव अल्प मात्रा में ही प्रदर्शित कर पाएंगे और आपको साढ़े साती की अवधि से मिलने वाले कष्टों में भी कमी होती नज़र आ सकती है। शनि आपकी कुंडली के बारहवें भाव में गोचर करेंगे। जहां से उनकी तीसरी दृष्टि सीधा दूसरे भाव पर रहेगी जोकि शनि की “नीच दृष्टि” होगी व उसी भाव में राहु भी इस समय गोचर कर रहे हैं। बस शनि की यही तीसरी दृष्टि ही परेशानी का कारण समझिये! ज्योतिष में शनि अपनी तीसरी दृष्टि से जहां भी देखते हैं वहीं से उनकी “क्रूर कृपा” आनी शुरू हो जाती है।

मीन राशि के जातकों के लिए साढ़े साती की शुरुआत में एक झटके में अच्छे काम बनेंगे, खुशियाँ आयेंगी। जिनकी शादी नहीं हुई हो जाएगी, जिनकी सरकारी नौकरी नहीं लगी मिल जाएगी। जिनकी शिक्षा ग्रहण करने में मुश्किल आ रही थी शिक्षा पूरी हो जाएगी, जिन्हें अध्यापन के क्षेत्र में जाना है चले जायेंगे, जिन्हें इन्जीनियर बनना है बन जायेंगे। जो लोग वाणी के द्वारा धन कमाते हैं या राजनीति में जाने के लिये बड़े स्तर पर प्रयासरत हैं सफल हो जायेंगे। कुटुम्ब से अच्छे संबंध बनेंगे, कहीं धन फंसा हुआ था निकल आयेगा। सेना, पुलिस में कार्यरत कर्मचारियों व अफसरों को प्रोन्नति मिलेगी। बिल्डिंग मटीरियल व बिल्डर्स के लिये अच्छा समय है। जिनके मकान नहीं बने बन जायेंगे, जिनके फ्लैट नहीं बिक रहे बिकने शुरू हो जायेंगे। तकनीकी क्षेत्र में शिक्षकों व विद्यार्थियो के लिए उत्तम अवसर मिलने वाले हैं।

वकालत में जाने वाले या वकालत करने वाले लोगों के लिये भी नये अवसर मिलेंगे। लेकिन यह सब कुछ होना सौ फीसदी तभी सम्भव है जब मूल कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत हो और गुरु भी आपकी राशि के स्वामी होने के नाते कुंडली में सहयोग दे रहे हो। ऐसी स्थिति में ही शनि की साढ़े साती मीन राशि के जातकों के लिये शुभ अवसर प्रदान करने वाली रहेगी। लेकिन यदि दूसरे भाव का स्वामी मंगल भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने में कमज़ोर बना हुआ है तो यह जितने भी सुनहरे अवसर मिल सकते थे नहीं मिल पाएंगे। बल्कि साढ़े साती इसके एकदम विपरित दिशा में अवसर बनायेगी और यह समय आपके लिये नई-नई चुनौतियां लेकर आ सकता है। जैसे किसी रोग का अचानक पता चलना या पहले से चली आ रही बीमारी का बढ़ जाना और उसके लिये अस्पतालों के चक्कर काटना, असीमित खर्चे बढ़ना, कुटुम्ब से घर के बड़ो से संबंध खराब होना।

घर गिरवी रखने की नौबत आना, कुटुम्ब या निजी परिवार में किसी व्यक्ति की कमी या मृत्यु सन्देश मिलना। धन की अचानक कमी या ज़रूरत पड़ जाना। बिना किसी कारण के नौकरी छूट जाना, उन्नति की जगह अवनति होना, शिक्षा ग्रहण करने पर अवरोध उत्पन्न होना, परीक्षा के रिजल्ट का प्रतिशत इच्छित ना मिलना, कटुवचन बोलने पर झगड़े हो जाना। अत्यधिक कर्ज़े देनदारी हो जाना, सामाजिक छवि अचानक बिगड़ना, चारों ओर से चिंताएं बढ़ना आदि। कुछ इस तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों से आपका सामना हो सकता है। शनि की साढ़े साती का पहला चरण खुशियों की बहार लाने के बाद अचानक कष्ट देकर जाता है। यह मेरे व्यक्तिगत अनुभव अनुसार पूर्णत सत्य बात है।

जैसे कि शनि देव आपकी कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हैं, तो मीन राशि व लग्न के लोगों के लिये उनकी नज़र कुन्डली के दूसरे, छठे व नौवें भाव पर रहेगी। अब इन भावों के ग्रह स्वामियों की व आपकी राशि स्वामी की आपकी व्यक्तिगत कुंडली में क्या स्थिति है, उसी के अनुसार शनि आपको व आपके परिवार को साढ़े साती में प्रभावित करते हुए दिखेंगे। इस तरह आपकी कुंडली के चार महत्वपूर्ण भावों पर बारहवें भाव सहित शनि देव साढ़े साती के दौरान उन्हें नियन्त्रित करते रहेंगे। आपके हर कर्म, हर प्रतिक्रिया पर शनि देव नज़र जमाए बैठे मिलेंगे। बस एक बात गाँठ बान्ध लीजियेगा कि साढ़े साती के प्रभाव में आते ही आप किसी भी गरीब, असहाय, कमज़ोर व्यक्ति, मजदूर वर्ग को परेशान करने की सोचिएगा भी मत। किसी के खिलाफ झूठ बोलना या झूठी गवाही देने वाला काम ना ही करियेगा। ऐसा कुछ भी करने पर शनि देव आपको वो दंड देंगे कि उसके बारे में आप सपने में भी सोच नहीं सकते। क्योंकि ज्योतिष में शनि स्वयं कर्म, न्याय के देवता और दंडाधिकारी हैं।

मेरी ओर से मीन राशि के जातकों के लिये शनि की साढ़े साती का गोचरीय प्रभाव क्या रहने वाला है, उस विषय में केवल सामान्य रूप से ज्योतिषीय विश्लेशण यहाँ किया गया है। साढ़े साती व अन्य ज्योतिषय फलित करवाने के लिये आने वाले वर्ष 2023 का वार्षिक ज्योतिष विश्लेशण किसी अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ से अवश्य करायें। व्यक्तिगत रूप से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य कराना चाहिए और देखना चाहिए कि साढ़े साती के दुष्परिणाम किस प्रकार से आपके जीवन की खुशियों को दुख दर्द में परिवर्तित कर रहे हैं या भविष्य में करने वाले हैं। शनि का कुम्भ राशि में गोचरीय परिवर्तन केवल मकर, कुम्भ, मीन राशि के लोगों को ही परेशानी में डालेगा ऐसा नहीं है। अन्य राशियों व लग्नों पर भी इसके गोचरीय प्रभाव रहेंगे व किसी अन्य राशि पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।

विशेषतः शनि की साढ़े साती अधिक संघर्षपूर्ण व जातक को पापड़ बिलवाने वाली होती है, इसलिये अकसर अन्य राशि के लोग शनि के राशि परिवर्तन को अनदेखा कर देते हैं। जबकि हर राशि के जातक को शनि के शुभ अशुभ फल की जानकारी के लिये अपनी कुंडली का व्यक्तिगत विश्लेशण किसी अनुभवी ज्योतिष शास्त्री से ज़रूर कराना चाहिए।

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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