संत कबीर दास

डॉ. आर.बी. दास, पटना। कबीर साहब का जन्म कब हुआ, यह ठीक-ठीक जानकारी नहीं मिल पाई है। एक मान्यता और कबीर सागर के अनुसार उनका सशरीर अवतरण सन 1398 (संवत 1455) में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममुहुर्त में लहरतारा तालाब में कमल पर हुआ था। जहां से नीरु नीमा नामक दंपत्ति उठा ले गए थे। उनकी इस लीला को उनके अनुयाई कबीर साहब प्रकट दिवस के रूप में मनाते हैं। वे जुलाहे का काम करके जीवन यापन करते थे। कबीर को अपने सच्चे ज्ञान का प्रमाण देने के लिए जीवन में 52 कसौटी से गुजरना पड़ा।

कबीर दास या कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञान मार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। इनकी रचनाओं ने हिंदी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनकी रचनाएं सिक्खों के आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गई है।

ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियां, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की तथा सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की। उनके जीवन काल के दौरान हिंदू और मुस्लिम दोनो ने उनका अनुसरण किया। कबीर पंथ नामक संप्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयाई हैं।

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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