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बाल दिवस व राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अवसर पर साहित्य अकादेमी का पुस्तक-प्रदर्शनी का आयोजन

कोलकाता। साहित्य अकादेमी के क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता द्वारा बाल दिवस एवं राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। साहित्य अकादेमी पुस्तकालय में ‘बच्चों का कोना’ का उद्घाटन किया गया। साहित्य अकादेमी द्वारा बालदिवस के अवसर पर अकादेमी पुस्तकालय, कोलकाता के अंतर्गत विशेष रूप से बच्चों के लिए एक कॉर्नर बनाया गया है। ‘बच्चों का कोना’ शीर्षक से बनाए गए इस बाल पुस्तकालय में विभिन्न भारतीय भाषाओं के बाल साहित्य को बाल पाठकों के लिए संजोया गया है। इस कॉर्नर का उद्घाटन प्रख्यात बांग्ला साहित्यकार और अकादेमी के महत्तर सदस्य शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय द्वारा किया गया। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री एवं अकादेमी में बांग्ला परामर्श मंडल के संयोजक ब्रात्य बसु, अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव तथा क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश सहित अनेक गणमान्य साहित्यकार और कुछ बच्चे भी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अवसर पर पुस्तक-प्रदर्शनी का आयोजन : राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अवसर पर साहित्य अकादेमी परिसर में अकादेमी द्वारा सप्ताहव्यापी पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। 15 से 21 नवंबर तक पूर्वाह्न 10.30 बजे से सायं 5.30 बजे तक चलनेवाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री एवं अकादेमी में बांग्ला परामर्श मंडल के संयोजक ब्रात्य बसु द्वारा किया गया। प्रदर्शनी में अकादेमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकें विशेष छूट पर विक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी। इस अवसर पर अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी भी उपस्थित थे।

‘बांग्ला बाल साहित्य’ पर परिसंवाद : साहित्य अकादेमी द्वारा ‘बांग्ला बाल साहित्य’ पर केंद्रित एक परिसंवाद का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन प्रख्यात बांग्ला साहित्यकार एवं अकादेमी के महत्तर सदस्य शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय द्वारा किया गया। आरंभ में अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने स्वागत भाषण करते हुए बांग्ला बाल साहित्य के इतिहास और विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि बांग्ला भाषा बाल साहित्य के क्षेत्र में अन्य भाषाओं के लिए अनुकरणीय है। अपने उद्घाटन भाषण में शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय ने कहा कि वर्तमान परिवेश को ध्यान में रखा जाए तो काफी परिवर्तन घटित हुए हैं, जिनके अनुसार बच्चों के अनुकूल लिखा जाना बेहद कठिन है, तथापि सार्वभौमिक अपील वाला तमाम साहित्य उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है। अपने बीज भाषण में प्रचेत गुप्त ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि उनके माता-पिता ने स्कूली पुस्तकों से अलग बाल साहित्य के लिए उन्हें अलग आलमारी प्रदान की थी, आज ऐसा बहुत कम हो रहा है।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री एवं अकादेमी में बांग्ला परामर्श मंडल के संयोजक ब्रात्य बसु ने कहा कि बच्चों की शिक्षा और बालसाहित्य के परस्पर संबंधों पर अपने विचार रखे। सत्रांत में धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश द्वारा किया गया। बांग्ला बालसाहित्य के वर्तमान परिदृश्य, पत्र-पत्रिकाएँ, प्रकाशन की स्थिति, पाठकीय अभिरुचि, बच्चों तक साहित्य की पहुँच, श्रेष्ठ बाल साहित्य के सृजन की चुनौतियाँ आदि अनेक विमर्शों को अपने में समेटे हुए दो वैचारिक सत्र भी आयोजित हुए, जिनकी अध्यक्षता क्रमशः अशोक कुमार मित्र एवं त्रिदिव कुमार चटर्जी ने की। इन सत्रों में रूपा मजुमदार, आशीष खास्तगीर, उल्लास मल्लिक, सिजार बागची, पार्थजित गंगोपाध्याय एवं प्रणवेश माइती द्वारा आलेख प्रस्तुत किए गए। सत्रों का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के सहायक संपादक क्षेत्रवासी नायक द्वारा किया गया।Img 20231115 Wa0051

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