नयी दिल्ली। मुद्रा बाज़ार में गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 1 पैसा फिसलकर डॉलर के मुक़ाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 80.06 पर पहुंच गया। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, तेल के आयातकों और क्रूड ऑयल में स्थिरता बरकरार रहने के कारण डॉलर की मांग में तेज़ी देखी जा रही है। मुद्रा बाज़ार के कारोबारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में क्रूड ऑयल की कीमत में इजाफे के कारण रुपया 80 के स्तर के आस-पास बना हुआ है। ब्रेंट की कीमत बढ़कर 106 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गई है और इससे रुपये पर दबाव बढ़ रहा है।
दूसरी तरफ़, करेंट अकाउंट और व्यापार घाटा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे भी निवेशकों के बीच चिंता का माहौल बढ़ा है। तेल आयातकों की तरफ से अमेरिकी डॉलर की मांग आने और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होने से रुपया और कमजोर हुआ है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती बनी रहने से स्थानीय मुद्रा पर दबाव पड़ा। ब्रेंट क्रूड 106 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया है।
यही वजह है कि घरेलू मुद्रा का स्तर 80 रुपये प्रति डॉलर के आस-पास बना हुआ है। इसके अलावा चालू खाता घाटा और कारोबार घाटा बढ़ने से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। अगर कल के सत्र की बात करें तो अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 13 पैसे लुढ़ककर 80 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को लांघकर बंद हुआ था। गिरावट का कारण आयातकों की भारी डॉलर मांग और कच्चे तेल की अधिक कीमतों का होना है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.91 प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के दौरान यह 80.05 के निचले स्तर को छू गया। कारोबार के दौरान रुपये में 79.91 से 80.05 रुपये के दायरे में घटबढ़ हुई. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 13 पैसे की गिरावट के साथ दिन के निम्नतम स्तर 80.05 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि तेल आयातक कंपनियों की भारी डॉलर मांग, कच्चे तेल की कीमतों के मजबूत होने के साथ-साथ व्यापार घाटा बढ़ने की चिंताओं के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई जो गिरावट का मुख्य कारण बना।