नयी दिल्ली। बांग्लादेश, ईरान, इराक और सऊदी अरब जैसे देशों की बढ़ती मांग के साथ-साथ देश भर के कई राज्यों में धान के रकबे में कमी की वजह से चावल की सभी किस्मों की कीमत (Rice Price) में बढ़ोतरी हो गई है। जून की शुरुआत से चावल की कीमत में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ में अनाज की कम बुवाई देखी गई, खरीफ सीजन के दौरान प्राथमिक फसल धान के तहत कवर किया गया क्षेत्र 29 जुलाई तक पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 13.3 फीसदी कम था। ऐसा प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में कम बारिश की वजह से किसानों द्वारा कम बुवाई के कारण हुआ।
सिर्फ चावल के उत्पादन में कमी की वजह से ही नहीं, बल्कि उच्च निर्यात मांग की वजह से भी चावल की कीमत में बढ़ोतरी और बढ़ गई। इस संदर्भ में राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णा राव ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, ‘बांग्लादेश ने भारत से चावल का आयात करना शुरू कर दिया है, जिससे सोना मसूरी (Sona Masoori) जैसे चावल की पसंदीदा किस्म प्रभावित हुई है। इसकी कीमत में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।’ पिछले साल 29 जुलाई की समान अवधि की तुलना में ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे उत्तरी और पूर्वी राज्यों में धान की खेती का रकबा 3.7 मिलियन हेक्टेयर कम है।
कोलकाता स्थित तिरुपति एग्री ट्रेड के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा कि, ‘चावल की सभी किस्मों की कीमत में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। चावल की रत्न किस्म (Ratna Rice), जिसकी कीमत 26 रुपये प्रति किलो थी, अब बढ़कर 33 रुपये हो गई है। बासमती चावल (Basmati Rice) की कीमत में भी लगभग 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह 62 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है क्योंकि ईरान, इराक और सऊद अरब से मांग बहुत मजबूत है।’