बंगाल में फ्लैट खरीदारों के लिए लागू किया गया ‘रेरा’

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भी रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम या ‘रेरा’ को आखिरकार लागू कर दिया गया है। राज्य के आवास, बिजली और खेल मंत्री अरूप विश्वास ने इससे संबंधित कार्यालय का उद्घाटन किया। यह कानून देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पहले ही लागू हो चुका है। मकान, जमीन और फ्लैट के खरीदारों और विक्रेताओं की सुविधा व पारदर्शिता के लिए केंद्र ने 2016 में यह कानून बनाया और राज्यों को इसे लागू करने का जिम्मा सौंपा लेकिन पश्चिम बंगाल इसी तरह के एक समानांतर कानून वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेगुलेटरी एक्ट (हीरा) का पालन कर रहा था।

यह मामला अंत में सुप्रीम कोर्ट में गया। 09 अगस्त 2021 को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 190 पन्नों के फैसले में पश्चिम बंगाल सरकार के ‘हीरा’ को असंवैधानिक ठहराते हुए ‘रेरा’ के रूपांतरण का आह्वान किया। बुधवार को इसे आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया गया है। इस मौके पर एक विशेष वेबसाइट लॉन्च की गई।

अरूप विश्वास ने कोलकाता स्थित रेरा के कार्यालय में कहा कि जिन सभी परियोजनाओं में आठ से अधिक फ्लैट हैं और कम से कम सात कट्ठा यानी पांच सौ वर्ग मीटर जमीन है, केवल उन्हें ही इस कानून में शामिल किया जा रहा है। हम इसमें संशोधन कर तीन-चार कट्ठा भूमि पर छोटी आवासीय परियोजनाओं को कानून के दायरे में लाना चाहते हैं, क्योंकि छोटी परियोजनाओं में अधिक अनियमितताएं होती हैं।

मंत्री ने कहा कि कई बार देखने में आता है कि बिल्डर एडवांस के पैसे से आवास का काम ठीक से नहीं करते हैं या घटिया काम करते हैं। कई बार काम अधूरा छोड़कर गायब होने के भी आरोप लगते हैं। खरीदार परेशान हो जाते हैं। यदि शिकायतकर्ता रेरा के हस्तक्षेप से संतुष्ट नहीं है, तो वह ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटा सकता है। रेरा के लागू होने से हर बड़े और मझोले हाउसिंग प्रोजेक्ट को पहले इसके पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

उसके बाद नगरपालिका, अग्निशमन विभाग आदि की स्वीकृति से कार्य प्रारंभ करना होगा। नियम और शर्तों में कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए। हर तीन महीने में वेबसाइट पर प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए ताकि खरीदार को जल्दी पता चल सके प्रोजेक्ट बजट का 70% बिल्डर को ‘रेरा’ के तहत ‘एस्क्रो अकाउंट’ में रखना होगा। खरीदार को छोड़ कर विक्रेता के गायब होने का कोई खतरा नहीं होगा। परियोजना शुरू होने से पहले खरीदार से और कोई अग्रिम नहीं लिया जा सकता है। प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी के लिए बिल्डर को घर खरीदार को दो फीसदी पेनल्टी देनी होगी।

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