आरबीआई वार्षिक रिपोर्ट 22-23 में मजबूत आर्थिक नीतियों, 500 रू के नकली नोट, फ्रॉड डिजिटल पेमेंट पर आंकड़ों सहित रिपोर्ट
आरबीआई द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में अर्थव्यवस्था से जुड़े हर क्षेत्र की पारदर्शिता से प्रस्तुति माय गव साइट पर देखा पढ़ा जा सकता है – एडवोकेट किशन भावनानी
किशन सनमुख़दास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की उन्नति का डंका आज सारी दुनिया में बज रहा है।आज पूरी दुनिया हसरत भरी नजरों से भारत की उन्नति को निहार रही है आईएमएफ मूडीज सहित अन्य रैंकिंग एजेंसियों द्वारा भारतीय उज्जवल भविष्य की और इशारा करती है तो वहीं अब हम विज़न 2047 की ओर तेजी से बढ़ रहें है। इस बीच दिनांक 30 मई 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में विस्तृत रूप से पेश किया है। उसको अगर हम माई गव साइट पर विस्तृत रूप से पढ़ेंगे तो हमें भारतीय आर्थिक प्रगति और उसकी बाधाओं, प्रचलन में नकली नोटों, फ्रॉड डिजिटल पेमेंट इत्यादि मुद्दों पर विस्तृत जानकारी मिलेगी जिसे पूर्ण पारदर्शिता के साथ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। अब चूंकि हर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की गई है, इसलिए आज हम उस रिपोर्ट के कुछ मुद्दों को इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आरबीआई वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में मजबूत आर्थिक नीतियां, 500 रू के नकली नोट, फ्रॉड डिजिटल पेमेंट पर आंकड़ों सहित रिपोर्ट।
साथियों बात अगर हम सालाना रिपोर्ट में आर्थिक मोर्चे पर रिपोर्टिंग की करें तो, अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और आने वाले समय को लेकर विस्तार से बातें की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान काफी मजबूती दिखाई और प्रमुख देशों के बीच सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरा। हालांकि आने वाले दिनों में ट्रेंड में कुछ बदलाव दिख सकता है। महंगाई में कमी आने की उम्मीदरिजर्व बैंक ने कहा कि मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों और कमॉडिटीज की कीमतों में नरमी के चलते भारत की वृद्धि की गति 2023-24 में बरकरार रहने की संभावना है। केंद्रीय बैंक को चालू वित्त वर्ष में महंगाई में कमी की भी उम्मीद भी है।
इसके साथ ही रिजर्व बैंक का यह भी मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में दबाव के कारण अगर वित्तीय बाजार में अस्थिरता आती है, तो इससे भारत की वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं। आरबीआई का कहना है कि उसकी मौद्रिक नीति महंगाई को नियंत्रित दायरे में लाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि दर को मजबूत बनाए रखना सुनिश्चित करने पर केंद्रित रही है। मौद्रिक नीतियों ने इसे पाने में कामयाबी भी दिखाई है और इनके कारण महंगाई नरम पड़ी है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है। आने वाले दिनों में महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक का कहना है कि अगर अल नीनो का असर नहीं होता है तो एक स्थिर विनिमय दर और एक सामान्य मानसून के मामले में 2023-24 में महंगाई कम हो सकती है।
रिजर्व बैंक का कहना है कि थोक महंगाई कम होकर 5.2 फीसदी पर आ सकती है है, जो बीते वित्त वर्ष में 6.7 फीसदी रही। रिपोर्ट के मुताबिक, एक स्थिर विनिमय दर और एक सामान्य मॉनसून के साथ, अगर अल नीनो घटना नहीं होती है, तो मुद्रास्फीति के 2023-24 में नीचे जाने की उम्मीद है। मोर्चे पररिपोर्ट में कहा गया है कि भारत नेपिछले वित्त वर्ष में उतार-चढ़ाव को बेहतर तरीके से मैनेज किया, जिससे वह प्रमुख देशों के बीच सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा। हालांकि, वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कमजोर खपत, ग्रामीण मांग में कमी और निरंतर लागत दबाव चिंता का विषय बना रहा। वृद्धि दर को गिरा सकते हैं।
रिजर्व बैंक को अल नीनो और इसके कारण महंगाई में वृद्धि की आशंका के अलावा भी कुछ चीजें परेशान कर रही हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान दूसरी छमाही में याने अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में कमी आई है, जो नकारात्मक है, इसके अलावा लागत का दबाव भी बना हुआ है। वैश्विक स्तर पर भी कई चुनौतियां हैं। भू-राजनीतिक घटनाक्रम यानी युद्ध जारी है, यूरोप में मंदी दस्तक दे चुकी है और हाल ही में बैंकिंग संकट के रूप में वित्तीय बाजार में अस्थिरता देखी गई है। रिजर्व बैंक को डर है कि ये सारे फैक्टर मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाउनसाइड रिस्क पैदा कर रहे हैं, यानी इन कारणों से आने वाले समय में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कुछ सुस्त पड़ सकती है।
साथियों बात अगर अर्थव्यवस्था में 500 रू के नकली नोटों की करें तो, आरबीआई ने आज अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2023 में 500 रुपए के लगभग 91,110 नकली नोट पकड़े गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022-23 के दौरान, बैंकिंग क्षेत्र में पकड़े गए कुल नकली भारतीय नोटों (एफआईसीएनएस) में से 4.6 फीसदी रिज़र्व बैंक में और 95.4 फीसदी अन्य बैंकों में पाए गए। आरबीआई ने इसी वर्ष (2022-23) में ही 100 रुपये के 78,699 और 200 रुपये के 27,258 नकली नोटों को पकड़ा। वहीं 2000 रुपये के 9,806 नकली नोट पकड़े। बता दें कि केंद्र सरकार ने 19 मई को घोषणा की थी कि 2000 रुपए के नोट सर्कुलेशन से वापस ले लिए जाएंगे।
साल 2016 में नोटबंदी के बाद सर्कुलेशन में लाये गए 2000 रुपये के नोट 30 सितंबर 2023 तक लीगल टेंडर माना जाएगा। RBI ने नागरिकों को इन नोटों को दिए गए समय सीमा के अंदर बैंक में जमा करने या बदलने के लिए कहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2021-22 की तुलना में बीते वित्त वर्ष में 20 रुपये और 500 रुपये (नए डिजाइन) के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 रुपये के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 11.6 प्रतिशत, 14.7 प्रतिशत और 27.9 प्रतिशत की गिरावट हुई।
साथियों बात अगर हम रिपोर्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था में कौन से मूल्य के नोटों की कितनी हिस्सेदारी की करें तो, बाजार में ये नोट चलन में मार्च 2023 के अंत तक 500 रुपये के कुल 5,16,338 लाख नोट चलन में थे, जिनका कुल मूल्य 25,81,690 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मार्च के अंत में दो हजार रुपये के 4,55,468 लाख नोट चलन में थे, जिनकी कुल कीमत 3,62,220 करोड़ रुपये है। इसमें आगे बताया गया कि दो हजार रुपये के नोटों के चलन में मूल्य और मात्रा, दोनों लिहाज से कमी आई है। इस समय दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2,000 रुपये के नोट चलन में हैं। इसके अलावा एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के सिक्के भी चलन में शामिल हैं। आरबीआई ने हाल में 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की है और इन्हें जमा करने या बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, मात्रा के लिहाज से 31 मार्च 2023 तक कुल प्रचलित मुद्रा में 500 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 37.9 प्रतिशत है, जो सबसे अधिक है। इसके बाद 10 रुपये के नोट का स्थान है, जिनकी हिस्सेदारी 19.2 प्रतिशत है।
साथियों बात अगर हम रिपोर्ट में फ्रॉड डिजिटल पेमेंट की करें तो, आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में कहा गया है कि सबसे ज्यादा फ्रॉड डिजिटल पेमेंट के जरिये किया गया है। कार्ड/इंटरनेट श्रेणी में सबसे अधिक मामलों की रिपोर्ट हुई। हालांकि, मूल्य के संदर्भ में मुख्य रूप से ऋण पोर्टफोलियो (अग्रिम श्रेणी) में धोखाधड़ी की सूचना मिली है।2021-22 में कुल 9,097 धोखाधड़ी के मामले सामने आए थे। इसमें 59,819 करोड़ रुपये शामिल थे। वहीं 2020-21 में धोखाधड़ी के 7,338 मामले आए थे, जिसमें 1,32,389 करोड़ रुपये शामिल थे। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि, बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी का सिलसिला लगातार जारी है। वित्त वर्ष 2022-23 में धोखाधड़ी के 13,530 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि इसमें शामिल राशि अब लगभग आधी होकर 30,252 करोड़ रुपये हो गई है।
एक लाख से उपर के सेगमेंट में घटे मामलेआरबीआई के डेटा में तीन सालों के दौरान रिपोर्ट की गई 1 लाख रुपये और उससे अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में 2020-21 की तुलना में 2021-22 के दौरान कुल धोखाधड़ी में शामिल राशि में 55 फीसदी की गिरावट आई है। आरबीआई ने कहा है कि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों द्वारा रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी में छोटे मूल्य जैसे कि कार्ड/इंटरनेट आदि से धोखाधड़ी ज्यादा हुई है। लेकिन पब्लिक सेक्टर के बैंकों में लोन से संबंधित फ्रॉड के मामले ज्यादा हैं।
केंद्रीय बैंक ने यह भी बताया कि 2021-22 और 2022-23 के दौरान रिपोर्ट की गई फ्रॉड के पुराने विश्लेषण से पता चलता है कि धोखाधड़ी होने की तारीख और इसका पता लगाने के बीच काफी समय है। 2022-23 के दौरान, पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने 21,125 करोड़ रुपये से जुड़े 3,405 धोखाधड़ी की सूचना दी है। निजी बैंकों ने 8,727 करोड़ रुपये के 8,932 मामले दर्ज किए हैं। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार कुल 30,252 करोड़ रुपये में से 95 फीसदी या 28,792 करोड़ रुपये लोन से जुड़े मामले सामने आए हैं। आरबीआई ने कहा कि वह बैंकिंग क्षेत्र में हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)