।।कर्म क्या है।।
आर. बी. दास
एक दिन हम सब को ऐसे सफर पर जाना है,
जिसमे कोई खर्च नहीं है,
सीट भी कन्फर्म है,
फ्लाइट भी ऑन टाइम है,
हमारे सभी अच्छे कर्म हमारे सामान है,
हमारी इंसानियत हमारा पासपोर्ट होगी,
प्यार हमारा वीजा होगा,
इसलिए स्वर्ग तक की इस उड़ान में,
बिजनेस क्लास में बैठने के लिए जिंदगी में जितना हो सके अच्छा कर्म करें..
श्रृंगार शरीर का नहीं आत्मा का होना चाहिए…
जिस प्रकार कोयल की कूक और नदी का कल कल उनका अपना श्रृंगार है…!
उसी प्रकार आत्मा की पवित्रता ही मनुष्य का श्रृंगार है,
शरीर का श्रृंगार जितना अधिक होगा आत्मा का प्रकाश उतना ही कम होगा..!!
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