नशा छोड़ना कठिन है, पर असंभव कदापि नहीं : डॉ. कल्पना मिश्रा

रायपुर : समाज को खाई में धकेलने वाला नशा छोड़ना नशा खोर के लिए कठिन है, पर असंभव कदापि नहीं। इस आशय का प्रतिपादन दूधाधारी बजरंग महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ के हिंदी विभाग की डॉ. कल्पना मिश्रा ने किया। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ इकाई के तत्वावधान में ‘नशा मुक्ति और सामाजिक विकास’ विषय पर आयोजित 90वीं राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी में वक्ता के रूप में वे अपना उद्बोधन दे रही थीं। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने गोष्ठी की अध्यक्षता की।

डॉ. मिश्रा ने आगे कहा कि, हमारे समाज की सबसे भीषण समस्या है, नशा। नशा से तात्पर्य समस्याओं से छुटकारा कभी भी नहीं। नशा जिंदगी को मौत में बदल देता है। वह परिवार, समाज व देश को विनाश के मार्ग पर ले जाता है। प्रतिदिन अठ्ठाइस करोड़ लोग नशाखोरी के शिकार हो रहे हैं। नशा कई बुराइयों को जन्म देता है। नशा प्रकृति का हो, विकृति का नहीं। ध्यान, प्राणायाम, साहित्य से लगाव व सकारात्मक सोच नशा से छुटकारा दिला सकते हैं। विशिष्ट अतिथि मैट्स विश्वविद्यालय, रायपुर की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने कहा कि वर्तमान स्थिति में हमारा समाज विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है और इनमें मुख्य समस्या है, नशाखोरी।

नशा हमारी प्रतिभा का नाश करता है। दुख इस बात का है कि हमारा युवा वर्ग नशे की चपेट में है। वक्ता सीमा निगम, रायपुर, छ.ग. ने कहा कि सामाजिक बुराइयों के रूप में नशाखोरी निरंतर बढ़ती ही जा रही है। बेरोजगारी तथा एकाकीपन जैसे अनेक कारण नशाखोरी को बढ़ावा दे रहे हैं। आवश्यकता है कि नशा विरोधी प्रचार के साथ नशा छोड़ने वालों को भी गौरवान्वित किया जाए। मुख्य अतिथि तथा शासकीय नवीन महाविद्यालय, बेरला, बेमेतरा, छत्तीसगढ़ की हिंदी प्राध्यापिका डॉ. आस्था तिवारी ने कहा कि थकान दूर करने का कारण नशा बिल्कुल ही नहीं है। नशा के दुष्प्रभावों से युवा वर्ग को सजग करना जरूरी है। स्वनियंत्रण व आत्मशक्ति के बल पर नशा से छुटकारा पा सकते हैं।

शासकीय नवीन महाविद्यालय, बीरगांव, छ.ग. की हिंदी प्राध्यापिका रोजमीना कुजूर ने कहा कि अनुकरण और संगति ये दो कारण व्यक्ति को नशा का शिकार बना देते हैं। स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला नशा जीवन के लिए निश्चित घातक है। आज के समाज के लिए नशा मुक्ति आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने अपने प्रास्ताविक भाषण में कहा कि नशाखोरी परिवार को ध्वस्त करती है। जागरूकता का अभाव, संगति का प्रभाव, नशीली पदार्थों तक सहज पहुँच आदि कारण नशाखोरी को बढ़ोतरी दे रहे हैं।

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने अपने अध्यक्षीय समापन में कहा कि, शौक से आरंभ होने वाला नशा आगे विकराल रूप धारण करता है। अपराध वृत्ति, विवेक खोना, घरेलू हिंसा में वृद्धि, परिवार व समाज को खोखला बनाना आदि नशाखोरी के परिणाम हैं। महात्मा गांधी महाविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ की प्राचार्य डॉ. सोनाली चन्नावर की सरस्वती वंदना से गोष्ठी आरंभ हुई। शासकीय माता कर्मा महिला महाविद्यालय, महासमुंद, छत्तीसगढ़ की हिंदी प्राध्यापिका डॉ. सरस्वती वर्मा द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया।

गोष्ठी का सुंदर संयोजन, नियंत्रण व संचालन संस्थान की छत्तीसगढ़ इकाई की प्रभारी हिंदी सांसद डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, ग्रेसियस शिक्षा महाविद्यालय, अभनपुर, रायपुर ने किया तथा अध्यापक लक्ष्मीकांत वैष्णव चांपा, जांजगीर, छत्तीसगढ़ ने धन्यवाद ज्ञापन किया। पटल पर डॉ. भरत शेणकर, श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव शैली, रायबरेली, डॉ.नजमा बानो मलिक, गुजरात, राजश्री तावरे, भूम, महाराष्ट्र, डॉ. दीपिका सिसोदिया सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

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