पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत 12 अगस्त शनिवार को

वाराणसी। द्वितीय (अधिक) श्रावण कृष्ण पक्ष पुरूषोत्तमा एकादशी का व्रत सन् 2023 ई. 12 अगस्त शनिवार को है। एकादशी व्रत के विषय में पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं। लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

द्वितीय (अधिक) श्रावण कृष्ण पक्ष पुरूषोत्तमा एकादशी तिथि 11 अगस्त शुक्रवार सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 अगस्त शनिवार सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 12 अगस्त शनिवार को है इस लिए पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत 12 अगस्त शनिवार को होगा। लेकिन तिथि क्षय होने के कारण परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त को ही रखा जाएगा।

पुरुषोत्तम मास (मलमास) में पड़ने के कारण इस एकादशी का नाम पुरुषोत्तमा एकादशी पड़ा है,इस एकादशी को परम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है धर्मग्रंथों के अनुसार पति और पत्नी अगर संतान की कामना को लेकर मलमास की पुरुषोत्तम एकादशी के व्रत को करते हैं तो उन्हें सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ,जप,तप,तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सिखाता है। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।

इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण, भूमि, फल, वस्त्र, मिष्ठानादि,अन्न दान, विद्या दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।

इस दिन श्रीगणेश जी, श्री लक्ष्मीनारायण तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है। श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा अवश्य सुने। एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। अधिक मास की एकादशी का धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है। व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्री लक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × 1 =