वाराणसी। मलमास का उद्यापन (मौख) शुभ मुहूर्त में जुलाई से लेकर 03 अगस्त से पहले कर ले। अधिक मास के विषय में पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि “असंक्रान्तिमासोsधिमास:” अर्थात जिस मास में सूर्य संक्रान्ति नही होती है उस मास को अधिक मास कहा जाता है। अधिक मास में भगवान श्रीहरि की पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु का एक अन्य नाम पुरषोत्तम होने के कारण अधिक मास को पुरुषोत्तम मास, मलमास भी कहा जाता है। इस वर्ष अधिक मास का प्रारम्भ 18 जुलाई मंगलवार 2023 से होगा तथा समाप्ति 16 अगस्त बुधवार 2023 को होगी।
अधिक मास का निर्माण- हिन्दू पंचाग के अनुसार सौर-वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चंद्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चंद्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में चंद्र-वर्ष में 1 माह जोड़ दिया जाता है। उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने हो जाते हैं। इस बड़े हुए माह को ही अधिक मास कहते हैं। यह सौर वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाता है। (अधिक मास के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है। जिस माह सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मास अधिक मास कहलाता है।)
शास्त्रों के अनुसार मल माह का उद्यापन (मौख) शुभ मुहूर्त में 18 जुलाई से लेकर 03 अगस्त से पहले कर ले। क्योंकि 03 अगस्त गुरुवार शाम को 07 बजकर 05 मिनट पर शुक्र तारा पश्चिम में अस्त हो रहा है (तारा डूबेगा) और 18 अगस्त शुक्र शाम 07 बजकर 04 मिनट पर पूर्व में शुक्र तारा उदय होगा (तारा चढ़ेगा), बुधवार 16 अगस्त को मल माह समाप्त हो जाएगा। इसलिए 18 जुलाई मंगलवार से लेकर 02 अगस्त बुधवार तक शुभ मुहूर्त में तृतीया, पंचमी, अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी या अमावस्या तिथि के दिन शुभ मुहूर्त में मल माह का उद्यापन (मौख) कर सकते हैं।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848