बागड़ी विद्रोह के लिए प्रसिद्ध गड़बेत्ता को धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए संघर्षरत प्राध्यापिका

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। वह कानून की सहायक प्रोफेसर है। फिर भी दबा हुआ इतिहास उन्हें पुकारता है। वर्तमान में नदिया निवासी होते हुए भी उनका जन्म अविभाजित मेदिनीपुर जिले के झाड़ग्राम में हुआ था। बागड़ी विद्रोह के लिए प्रसिद्ध पश्चिम मेदिनीपुर जिले के गड़बेत्ता-मोंगलापोता के प्रति उनका आकर्षण ऐसा है कि वे नियमित रूप से अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच कल्याणी से यहां आती रहती हैं। खोए हुए इतिहास को पुनः प्राप्त करने की लत में लगातार जकड़े हुए। हम बात कर रहे हैं प्रो. सुष्मिता हलधर की। सुष्मिता संघर्षरत हैं, खोए हुए विद्रोह के इतिहास को सामने लाने के लिए ऐतिहासिक वास्तुकला के जीर्णोद्धार और संरक्षण को। वे इस स्थान की खुदाई चाहती हैं।

अंग्रेजों के जमाने में जब ब्रिटिश विरोधी किसान असंतुष्ट थे, तो लायक विद्रोह सामने आया। हालाँकि, यह क्षेत्रीय इतिहास में ही सिमटा हुआ है। राष्ट्रीय इतिहास में गुमनाम। सुष्मिता के मुताबिक – विद्रोह का नेतृत्व अचल सिंह ने किया था। इससे तत्कालीन जमींदार छत्र सिंह का नाम भी अविभाज्य रूप से जुड़ा हुआ है। यह इतिहास स्थानीय लोगों की जुबान पर तो है, लेकिन जनश्रुति के रूप में। अलिखित इतिहास समय के साथ विकृत होता जाता है। सुष्मिता ने उस खोए हुए इतिहास को उजागर किया है। विधि की शिक्षिका सुष्मिता पारंपरिक अवशेषों को संरक्षित करना चाहती हैं।

उनका अनुरोध है प्राचीन वास्तुकला को पुनर्स्थापित और संरक्षित किया जाय। पुस्तकों में विरासत और पुरातात्विक मान्यता दी जानी चाहिए। विशेष स्थानों को चिन्हित कर उत्खनन किया जाना चाहिए। यही नहीं पूरे क्षेत्र को हेरिटेज जोन घोषित किया जाए। गड़बेत्ता मोंगलापोता और आसपास के क्षेत्रों में कई प्राचीन स्मारक हैं। लेकिन सब उपेक्षा के शिकार है। यह वर्षों से खराब होता जा रहा है। मंगलापोता शाही परिवार राजबाड़ी को विरासत का दर्जा दिलाना चाहता है। स्थानीय लोग मंदिर को भी धरोहर स्थल घोषित कराना चाहते हैं। मंदिर को हेरिटेज का दर्जा दिलाने के लिए मंदिर समिति के सदस्य पहले ही मुख्यमंत्री के पास आवेदन कर चुके हैं।

सुष्मिता चाहती हैं ऐतिहासिक स्थापत्य का जीर्णोद्धार, संरक्षण, विशेष क्षेत्रों की पहचान और उत्खनन कार्य हो। क्षेत्र की धरोहर मान्यता चाहती है। सुष्मिता पूरे इलाके के इतिहास को जिंदा रखना चाहती हैं। उनकी अपील 14 बिंदुओं की है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में पूरे क्षेत्र में जर्जर मंदिर, घर, सुरंगें, खंडहर हैं। विरासत भवनों को राज्य पुरातत्व विभाग और राज्य विरासत आयोग के रजिस्टरों में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। इसे लेकर वह पहले ही जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों सहित विभिन्न कार्यालयों में आवेदन कर चुकी है। उनकी हाल ही में नेशनल बुक ट्रस्ट से ‘लायक विद्रोह के नायक’ शीर्षक से एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।

सुष्मिता ने कहा कि प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र का दौरा करने आना चाहिए। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है गड़बेत्ता पर्यटन केंद्र और इस पर्यटन केंद्र से थोड़ी दूर कई ऐतिहासिक वास्तुकलाएं हैं। सुष्मिता ने कहा कि अगर पुरातात्विक और विरासत का दर्जा मिल जाता है, तो पूरे क्षेत्र को हेरिटेज जोन के रूप में मान्यता दी जा सकती है और क्षेत्र को हेरिटेज सर्किट में शामिल किया जा सकता है। इससे राज्य से एक और नई उपलब्धि जुड़ जाएगी। यह परंपरा जिले, प्रदेश और पूरे देश की है। उन्होंने कई जगहों को चिन्हित कर खुदाई का अनुरोध भी किया।

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